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दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्राचार्या ने कहा, बच्चे होंगे चरिवान तो उन्नत होगा समाज

संस्कार हम सबकी जीवन का मूल आधार है। हम जितना संस्कारवान होंगे उतना लाभ होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 02:09 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 02:09 AM (IST)
दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्राचार्या ने कहा, बच्चे होंगे चरिवान तो उन्नत होगा समाज
दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्राचार्या ने कहा, बच्चे होंगे चरिवान तो उन्नत होगा समाज

जागरण संवाददाता, रांची : संस्कार हम सबकी जीवन का मूल आधार है। हम जितना संस्कारवान होंगे हमारी दशा और दिशा उतना ही बेहतर होगा। नैतिक जीवन की मूल्य समझकर ही वास्तविक जीवन को आनंदित किया जा सकता है। संस्कार से व्यक्तित्व का निर्माण होता है। संस्कार हमें अच्छाई और बुराई का अंतर बताकर सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। हमारे समाज के बच्चे जितना चरित्रवान होंगे हमारा समाज उतना ही उन्नतवान होगा। क्योंकि आज के नन्हें बच्चे कल परिवार, समाज व देश की बागडोर संभालेंगे। अगर उनमें संस्कार की कमी होगा तो वह कुशल नेतृत्व करने में विफल हो जाएंगे। परिवार व समाज की उम्मीद पर खड़ा उतरने के लिए बच्चों को आचरण व्यवहार के साथ बेहतर चरित्र निर्माण की ओर कदम बढ़ाना होगा। संस्कारशाला हमें यही शिष्ट जीवन शैली जीना सिखाता है। इस अभियान के माध्यम से हमारे समाज के बच्चे संस्कारवान हो रहे हैं। यह बातें राइज एकेडमी स्कूल के प्राचार्य रीता विश्व ने कही। सोमवार को राइज एकेडमी स्कूल सिंह मोड़ में दैनिक जागरण की ओर से संस्कारशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा की अच्छे संस्कार से इस मुकाम को आसानी से हासिल किया जा सकता है। समाज में दूसरों के लिए प्रेरणा श्रोत बनने के लिए नियत साफ, स्वभाव में सादगी, बोली में मधुरता और शिष्ट जीवन शैली की आवश्यकता होती है। बच्चों में अनुचित बदलाव न हो इसके लिए बच्चों के साथ माता पिता को अधिक से अधिक समय व्यतीत करने की आवश्यकता है।

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पारिवारिक माहौल को हमेशा संस्कार युक्त बनाकर रखें

उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों में गलत संस्कार न विकसित हो इसके लिए माता पिता को परिवारिक माहौल को हमेशा संस्कार युक्त बनाकर रखना चाहिए। ताकि हमारे बच्चों की भाषा, बोली, आदर सम्मान व रहन सहन के तरीके में असहज करने वाली गिरावट न पैदा हो। साथ ही बच्चों के जीवन में संस्कार का अलख जगाने का कर्तव्य शिक्षकों का भी है। प्रतिक्रिया -

संस्कार मानव जीवन की अमूल्य संपत्ति है। इसके बिना मनुष्य उपेक्षा के पात्र बनते हैं। बच्चों को अच्छे और बुरे कर्म के बारे में ज्ञान हो इसके लिए माता-पिता के साथ गुरुजनों द्वारा बच्चों को मार्गदर्शन जरुरी है।

- रिता विश्व, प्राचार्य। हमारे बच्चे संस्कारवान हो यह जिम्मेदारी हम सबको निभानी होगी। अपने से बड़े का आदर व छोटे को प्यार देने की नियत बच्चों में जागृत करने की आवश्यकता है।

- विजय कुमार शर्मा, निदेशक। संस्कार हमारे जीवन का गहना होता है। हर जगह आदर व सम्मान दिलाती है। हमारे बच्चे संस्कारी होंगे तभी आगे चलकर हम सभी का ख्याल रख पाएंगे।

-प्रमीला कुमारी, शिक्षिका। बच्चों में संगत का सबसे ज्यादा असर परता है। हमारे बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं यह समझना जरूरी है। दैनिक जागरण बच्चें में संस्कार का बीज बोने का काम कर रहा है।

- पुष्पा सिंह, शिक्षिका। बच्चे किसी महल की नीव के समान होते हैं। बच्चों की शुरुआती नीव जैसा होगा, आगे चलकर वह उतना ही कामयाब हो पाएंगे।

- प्यारी कुजूर, शिक्षिका। बेसक आज के दौर में हमारे बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। लेकिन बच्चों में संस्कार का हस होता जा रहा है। दैनिक जागरण बच्चों में संस्कार का बीज बोने का काम कर रहा है।

- कौशल्या कुमारी, शिक्षिका।

हमें अपने परिवार के अलावा सभी बड़े व छोटे को उचित मान-सम्मान व आदर करना चाहिए। वास्तव में संस्कार के बिना सभ्य जीवन शैली जिना संभव नहीं है।

- मौसमी बाग्दी।

हमें सुबह-सुबह उठकर अपने माता-पिता व बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। देर से सो कर नहीं उठना चाहिए।

- मोनिका कुमारी।

हमें प्रकृति को बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाना चाहिए। पानी की बर्बादी नहीं करना चाहिए।

- रीमा लकड़ा।

माता-पिता व गुरु भगवान के समान होते हैं। हमें हमेशा उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए।

- सोना स्टेन।

संस्कार हमें जीवन को बेहतर ढ़ंग से जीने की प्रेरित करता है। सही और गलत के बारे में आगाह करता है।

- अमित कुमार महतो।

संस्कार के बिना जीवन के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता है। घर-परिवार व गुरुओं से भी अच्छी-अच्छी आदतें सीखने को मिल रही है।

- अरविंद उरांव।

पढ़ाई के साथ संस्कार का भी पालन करुंगा। हमें संस्कारवान बनकर एक बेहतर इंसान बनना है।

- साहिल खान।


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