रिम्स के एनआइसीयू में 30 घंटे पड़ा रहा शिशु का शव, दुर्गंध होने पर हटाया
रिम्स प्रबंधन पर एक बार फिर घोर लापरवाही के आरोप लगे हैं। यहां के एनआइसीयू में 30 घंटे तक नवजात का शव पड़ा रहा।
रांची, जागरण संवाददाता। रिम्स प्रबंधन की घोर लापरवाही फिर सामने आई है। इस बार मानवता को ताक पर रख कर नवजात के शव को 30 घंटे तक यूं ही रख कर छोड़ दिया गया। जिस एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में ज्यादा बीमार और कमजोर नवजात बच्चे रखे जाते हैं, उसी में 30 घंटे तक नवजात का शव पड़ा रहा। जब दुर्गंध फैली तो नवजात मरीजों के परिजनों ने अस्पताल अधीक्षक विवेक कश्यप से शिकायत की। तब शव को हटाया गया।
एनआइसीयू बच्चों के जनरल वार्ड में ही अलग से घेरकर बनाया गया है जहां इस समय लगभग 60 बच्चे भर्ती हैं। नियमानुसार एनआइसीयू संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित सेल होती है। इस सेल में ही कठिन दौर से गुजर रहे आधा दर्जन से अधिक बच्चे भर्ती हैं।
दुर्गंध फैलने पर मिली जानकारी: एनआइसीयू में दुर्गंध फैलने पर वहां भर्ती अन्य शिशुओं के अभिभावकों ने रिम्स प्रबंधन से शिकायत की। इसके बाद प्रबंधन हरकत में आया। जांच शुरू हुई तो पता चला कि बच्चे की मौत 16 सितंबर को देर रात ही हो गई थी। वहां की व्यवस्था देखने वाली नर्सो ने अगले दिन ध्यान दिया और वरीय अधिकारियों को इसकी लिखित सूचना दी।
सूचना देने के बाद भी पड़ा रहा शव: वार्ड में देखरेख करने वाली नर्सो को ही नवजात की मौत की जानकारी घंटों बाद मिली। इसके बाद उन्होंने शव पड़े होने की सूचना रिम्स प्रबंधन को दे दी। इसके बावजूद प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की। 30 घंटे तक नवजात बच्चों के बीच शव सड़ता रहा।
परिजन का भी पता नहीं: दुर्भाग्य से जिस नवजात की मौत हो गई, उसके परिजन भी लापता थे। रिम्स प्रबंधन द्वारा फोन से उनसे संपर्क साधने की कोशिश भी बेकार गई। नवजात को भर्ती कराते समय उन्होंने अपना पता बारिया, नवादा जिला (बिहार) लिखवाया था। रिम्स अधीक्षक को इसकी सूचना मिली, तो उन्होंने विभागाध्यक्ष को फोन लगाया तो पता चला कि वह अवकाश पर चल रहे हैं। इसके बाद उन्होंने तत्काल संबंधित विभाग को निर्देश दिया और वार्ड से शव को हटवाया।
खतरे में बच्चों का जीवन: शव के बीच 30 घंटे तक गुजारने वाले एनआइसीयू में भर्ती बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ा यह भी जांच का विषय है। जानकार चिकित्सक कहते हैं कि बच्चे सामान्य स्थिति में ही बेहद संवेदनशील होते हैं। एनआइसीयू में तो गंभीर स्थिति वाले बच्चों को रखा जाता है जिन्हें संक्रमण का और ज्यादा खतरा होता है। अत: यह जांच का विषय है कि उन्हें संक्रमण तो नहीं हो गया है? मृत शरीर में जीवाणुओं को पनपने का अवसर आसानी से मिल जाता है।
बच्चे को एडमिट कराते समय परिजन ने लिखा था: 'मुझे बताया गया है कि मेरे बच्चे का ऑपरेशन द्वारा ही इलाज संभव है। अगर मेरा बच्चा यहां रहेगा तो संक्रमण होने के कारण मेरे बच्चे की जान को खतरा है। फिर भी मैं एडमिट कर रहा हूं।'
जानें, किसने क्या कहा
मृत शरीर में बैक्टीरिया को पनपने की जगह मिलती है। वह काफी तेजी से बढ़ते हैं। एनआइसीयू में भर्ती बच्चे, जो पहले से अति गंभीर अवस्था में हैं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ गया है।'
डॉ. एके वर्मा, फिजिशियन, एचईसी
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'जैसे ही इसकी सूचना मुझे मिली, तत्काल, एनआइसीयू से शव को हटा लिया गया। दरअसल बच्चे के परिजन भी लापता हैं। फिलहाल दूसरे किसी बच्चे को स्वास्थ्य संबंधित परेशानी नहीं है।'
डॉ. विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स