कोयलाकर्मियों ने संडे को लिया सामूहिक अवकाश
खलारी: एनके एरिया के कर्मचारियों सहित असंगठित मजदूरों ने रविवार को सामूहिक साप्ताहिक अवकाश्
खलारी: एनके एरिया के कर्मचारियों सहित असंगठित मजदूरों ने रविवार को सामूहिक साप्ताहिक अवकाश ले लिया। एनके प्रबंधन द्वारा सभी कार्यालयों में रविवारीय कार्य बंद रखने एवं रविवार को साप्ताहिक विश्राम मानने संबंधी कर्मचारियों को दिए नोटिस के बाद कामगारों ने यह निर्णय लिया। एनके एरिया के सभी दफ्तरों रविवार को ताले लटके रहे। अवकाश पर रहने वाले अधिकतर कर्मचारी अपने कार्यालयों के सामने एकत्रित हुए और प्रबंधन के विरोध में नारे लगाए। प्रबंधन ने नोटिस में कहा है कि सक्षम पदाधिकारी के द्वारा आवश्यक सेवाओं में संडे को प्रतिनियुक्ति की जा सकेगी। लेकिन इस संडे किसी की भी प्रतिनियुक्ति नहीं की गई। जिसके कारण प्रोडक्षन से जुड़े कर्मचारी भी ड्यूटी नहीं गए। कामगारों का कहना है कि एनके एरिया के सभी कर्मचारी एकजुट हैं। संडे को प्रतिनियुक्ति के बाद आवष्यक सेवाओं में भी डिउटी नहीं करेंगे। रोहिणी परियोजना में उत्पादन कार्य में लगे आउटसोर्सिंग कंपनी का काम भी बंद रहा। असंगठित कामगारों द्वारा भी संडे को सामूहिक साप्ताहिक अवकाश ले लेने के कारण निजी डंपर, पे-लोडर भी नहीं चले। खदानों में कोयला उत्पादन तो प्रभावित हुआ ही खदान या स्टॉक से कोयला भी साइडिंग नहीं पहुंच सका। जिसके कारण साइडिंग में भी सन्नाटा पसरा रहा। यहा तक की पानी-बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं में भी काम करने वाले सीसीएलकर्मी साप्ताहिक अवकाश पर रहे।
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अगले आदोलन की बन रही रणनीति
फोटो:- 16 खलारी 05:- नारेबाजी करते विस्थापित, कर्मचारी व यूनियन के लोग।
खलारी: संडे ड्यूटी बंद होने से एनके एरिया के सभी कोयलाकर्मी गुस्से में हैं। संडे ड्यूटी बंद होने से एक-एक कोयलाकर्मी को 15 से 20 हजार रुपये मासिक का नुकसान है। 16 सितंबर संडे को सामूहिक अवकाश के दौरान विस्थापित कामगार सहित अन्य यूनियन पदाधिकारियों ने अगले आदोलन की रणनीति पर विचार विमर्श किया। जिला परिशद सह आरसीएमएस के एरिया सचिव अब्दुल्ला अंसारी ने कहा कि संडे को संगठित कर्मचारियों के साथ सामूहिक अवकाश में रहकर असंगठित मजदूर ने आदोलन में बड़ा योगदान दिया है। असंगठित मजदूरों के अवकाश में रहने से कोयला ढुलाई, साइडिंग में रैक लोडिंग जैसे काम प्रभावित हो गए। अब्दुल्ला अंसारी ने कहा कि खलारी के कोयले से दिल्ली रोशन होती है। प्रबंधन का यही रवैया रहा तो एक छटाक कोयला भी खलारी से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। जब पावर प्लाट बंद होंगे तब मजदूरों की ताकत का अहसास होगा। कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन और सरकार को कोयला कर्मियों के सामने झुकना पड़ेगा। विस्थापित नेता बहुरा मुंडा ने कहा कि प्रबंधन नीतिगत बदलाव ला रही है। यह विस्थापित व मजदूर हित में नहीं है। कहा कि विस्थापितों से जमीन लेने के समय प्रबंधन हर सुविधा का वादा करती है। लेकिन आज संडे ड्यूटी बंद करने जैसा निर्णय लेकर विस्थापित सहित सभी कोयला कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान दे रही है। प्रबंधन के रवैये से सबसे ज्यादा विस्थापित त्रस्त हैं। प्रबंधन जिस तरह से संडे ड्यूटी देती थी, वह दे, अन्यथा आगे कामगार हड़ताल पर भी जाने को भी मजबूर होंगे। प्रबंधन के खिलाफ कर्मचारियों ने नारेबाजी भी की। इस मौके पर महेन्द्र उराव, इसहाक अंसारी, देवपाल मुंडा, ध्वजाराम धोबी सहित काफी संख्या में कामगार उपस्थित थे।