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ये हैं आज के विश्वकर्मा

भगवान विश्वकर्मा को निर्माणा का देवता माना जाता है। आज पूरे शहर में धूम-धाम से विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाएगा। शहर में कुछ ऐसे छात्र भी है जिनके आविष्कारों ने राष्ट्रीय लेबल पर ख्याति प्राप्त की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 08:00 AM (IST)
ये हैं आज के विश्वकर्मा
ये हैं आज के विश्वकर्मा

जागरण संवाददाता, रांची : देवताओं के लिए स्वर्ग, महल, अस्त्र-शस्त्र और आभूषण बनाने वाले देवशिल्प भगवान विश्वकर्मा का आज खास दिन है। आज मशीनरी और औजारों की पूजा होती है। विश्वकर्मा भगवान मशीनरी और शिल्प उद्योग से जुड़े लोगों के प्रमुख देव हैं। मान्यता के मुताबिक भगवान इन्द्र के सबसे शक्तिशाली अस्त्र वज्र भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था। पुराणों के मुताबिक भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में ब्रह्मा की सहायता की और संसार का नक्शा तैयार किया था। यह भी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही उड़ीसा में जगन्नाथ भगवान समेत, बलभद्र एवं शुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी किया था तथा लंका का भी निर्माण किया था। हर व्यक्ति सुबह से शाम तक किसी न किसी मशीनरी का इस्तेमाल करता है, चाहे वह कंप्यूटर हो, लैपटॉप, मोबाइल हो, मोटरसाइकिल हो, कार, पानी का मोटर, बिजली के उपकरण आदि ही क्यों न हो। आज के समय में अब विश्वकर्मा का रूप थोड़ा बदल चुका है। जैसे प्राचीन युग में विश्वकर्मा भगवान ने शिल्प के अद्भूत नमूने बनाए थे वैसे ही रांची के युवा भी नए जमाने के विश्वकर्मा बन गए है। बीआइटी के छात्रों ने बनाई रेसिंग कार :

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बीआईटी मेसरा में मैकेनिकल इंजीनियर के 35 स्टूडेंट्स की टीम सृजन ने रेसिंग कार बनाई है। खास बात ये कि इस कार में केटीएम बाइक का इंजन लगा हुआ है। कार को बनाने में पाच महीने का समय लगा था। ये कंपीटिशन फार्मूला सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स आयोजित कराती है। कंपीटिशन 11 देशों में आयोजित किया जाता है। इंडिया में इसे फार्मूला भारत का नाम दिया गया है। साल 2018 में इसे 110 टीम ने रजिस्ट्रेशन कराया था। जहां टीम को ओवरऑल 11वा जबकि बिजनस इवेंट में पहला रैंक मिला था। अब मयंक की टीम 2019 की तैयारी में जुटी हुई है।

क्या है रेसिंग कार की खासियत :

- छह सेकंड में 100 की रफ्तार पकड़ती है।

- कार में केटीएम बाइक का इंजन लगा है।

- कार का वजन 205 किलोग्राम है।

- इसमें 42 हार्सपावर की ताकत है।

- कार में 390 सीसी का इंजन लगा है। रंजीत ने बनाया रश्मि रोबोट :

राची के रंजीत श्रीवास्तव ने महज 50 हजार रुपये खर्च कर रश्मि रोबोट का निर्माण किया है। यह अंग्रेजी के साथ हिंदी, भोजपुरी और मराठी में आपसे बात कर सकती है। यह हावभाव बदलने और भावनात्मक बातें करने में भी निपुण है। रंजीत का दावा है कि रश्मि दुनिया की पहली हिंदी भाषी, सच्चा अहसास देने वाली और महिला की तरह व्यवहार करने वाली रोबोट है, जो बातचीत के क्रम में होंठ भी हिलाती है। इस रोबोट में लिंग्यूस्टिक इंटरप्रेटर (एलआई), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), विजुअल डेटा और फेशियल रिकोगनिशन तकनीक का उपयोग किया गया है।

रंजीत ने कहा कि रश्मि चेहरे, आख, होंठ और भौं के जरिये अपनी अभिव्यक्ति करती है। जरूरत के अनुसार यह रोबोट अपनी गर्दन को घूमा-फिरा भी सकता है। भारत जैसे आबादी बहुल देश में रोबोट की उपयोगिता के बारे में रंजीत ने कहा कि यह भविष्य की पीढ़ी की जरूरत है। यह रिसेप्शनिस्ट, सहायक, एकाकी लोगों और जरूरतमंदों के संवेदनशील मित्र के रूप में काम कर सकती है।


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