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चौथी बार संशोधित करना पड़ेगा छठी जेपीएससी पीटी का रिजल्ट

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को चौथी बार छठी सिविल सेवा परीक्षा के पीटी का परिणाम संशोधित करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जेपीएससी की शर्तो में किए गए बदलाव को उचित नहीं मानते हुए प्रार्थी को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का आदेश जेपीएससी और झारखंड सरकार को दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 01:12 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 01:12 PM (IST)
चौथी बार संशोधित करना पड़ेगा छठी जेपीएससी पीटी का रिजल्ट
चौथी बार संशोधित करना पड़ेगा छठी जेपीएससी पीटी का रिजल्ट

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को चौथी बार छठी सिविल सेवा परीक्षा के पीटी का परिणाम संशोधित करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जेपीएससी की शर्तो में किए गए बदलाव को उचित नहीं मानते हुए प्रार्थी को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का आदेश जेपीएससी और झारखंड सरकार को दिया है। प्रार्थी राकेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि जेपीएससी ने छठी सिविल सेवा की परीक्षा के लिए जो विज्ञापन निकाला था उसमें कहा गया था कि प्रारंभिक परीक्षा में 40 अंक हासिल करने वाले उत्तीर्ण माने जाएंगे। लेकिन इसके बाद परीक्षा की शतरें में बदलाव किया गया। बदलाव केबाद दोनों पेपरों में 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य कर दिया गया। प्रार्थी को प्रारंभिक परीक्षा में यह कहते हुए सफल घोषित नहीं किया गया कि उसने कुल 40 फीसद अंक हासिल किया है। दोनों पेपर में 40 फीसद अंक नहीं मिला है। इसके खिलाफ उसने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुचित्रा पाडेय ने अदालत को बताया कि 40 फीसद अंक हर पेपर में आना जरूरी नहीं है। यह सरकार की अधिसूचना और जेपीएससी के विज्ञापन में भी था। प्रार्थी ने छह सवालों के जवाब को भी चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रार्थी की दलील को स्वीकार लिया और जेपीएससी को उसे मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति प्रदान करने का आदेश दिया। हालाकि यह आदेश सिर्फ इसी मामले में लागू होगा।

गौरतलब है कि तीसरी बार संशोधित रिजल्ट न्यूनतम अंक के आधार पर जारी हुआ था। इसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 40 फीसद सहित अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अंक निर्धारित किया गया था। लेकिन जेपीएससी ने दोनों पत्रों में अलग-अलग यह न्यूनतम अंक लागू कर दिया था। प्रार्थी का कहना था कि यह न्यूनतम अंक दोनों विषयों में जोड़कर लागू होना चाहिए। इससे वैसे अभ्यर्थी फेल हो गए थे जिनके दोनों विषयों में मिलाकर न्यूनतम अंक तो प्राप्त थे लेकिन एक विषय में इतने अंक प्राप्त नहीं हो सके थे। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से जेपीएससी को और अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल करना पड़ सकता है। अभी लगभग 34 हजार अभ्यर्थी पास हुए हैं।


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