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रांची में खून की खरीद-बिक्री का चल रहा काला कारोबार

रांची, जागरण संवाददाता। शहर में खून की खरीद-बिक्री का काला धंधा बेरोकटोक चल रहा है। सोमवार को दो सामाजिक संस्थाओं ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये इसका पर्दाफाश किया। सामाजिक संस्था से फर्जी तरीके से ब्लड लेकर मजबूर जरूरतमंदों को साढ़े तीन से चार हजार रुपये में बेचते थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 02:07 PM (IST)
रांची में खून की खरीद-बिक्री का चल रहा काला कारोबार
रांची में खून की खरीद-बिक्री का चल रहा काला कारोबार

रांची, जागरण संवाददाता। शहर में खून की खरीद-बिक्री का काला धंधा बेरोकटोक चल रहा है। सोमवार को दो सामाजिक संस्थाओं ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये इसका पर्दाफाश किया। सामाजिक संस्था से फर्जी तरीके से ब्लड लेकर मजबूर जरूरतमंदों को साढ़े तीन से चार हजार रुपये में बेचते थे। इस धंधे में शामिल तीन लोगों को मारवाड़ी युवा मंच रांची और जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन ने पकड़ कर पुलिस को सौंपा है। दस लोगो का गिरोह है। पकड़े गए आरोपितों में बहू बाजार निवासी मोहम्मद गुड़ु, मदन कुमार और बड़ा तालाब के समीप रहने वाली एक नाबालिग लड़की शामिल है। इस गिरोह का सरगना किशन मिश्रा फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इसका खुलासा दोनों संगठनों ने संयुक्त रूप से स्टिंग ऑपरेशन कर किया है। इस प्रकरण में मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष तुषार विजयवर्गीय ने मामले में बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में बताया है कि रिम्स और आलम हॉस्पिटल में खून की खरीद-बिक्री का धंधा चल रहा था। दोनों संगठन इसपर नजर रखे हुए थे। सोमवार को शाम पांच बजे संस्था के सदस्यों ने दलालों को खून बेचते रंगे हाथ दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया। कहा कि रिम्स और शहर के अन्य अस्पतालों के कर्मचारियों की भी इस धंधे में मिलीभगत है। दलाल खून के एवज में मरीजों से 3500 से 4000 रुपये तक लेते थे। बरियातू इंस्पेक्टर अजय कुमार केशरी ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ चल रही है। गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा रहा है।

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फर्जी ब्लड रिक्विजिशन फॉर्म का इस्तेमाल : पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपित एक अस्पताल में भर्ती मरीज के नाम का फर्जी रिक्विजशन फॉर्म का इस्तेमाल करते थे। फॉर्म से अलग-अलग जगहों से खून लेकर रिम्स व अन्य अस्पतालों में बेचने का काम करते थे। उनके पास से संबंधित कागजात भी बरामद किए गए हैं।

डोनेशन के खून को बेच देते थे दलाल : तुषार विजयवर्गीय के अनुसार यह सरगना शहर के बड़े सामाजिक संस्थाओं से गरीब मरीजों को खून देने के नाम पर डॉक्टर की रसीद के यूआइडी नंबर को बदलकर सामाजिक संस्थाओं से ब्लड डोनर कार्ड लेते थे और उसे बेच देते थे। इसकी शिकायत मिलने पर ही सामाजिक संस्थाओ ने अपना दस सदस्यीय दल बनाकर यह कार्रवाई की। पकड़ने वालों में तुषार विजयवर्गीय, अश्रि्वनी राजगढि़या, आशीष अग्रवाल, संजय बजाज, राजू अग्रवाल, मुकेश जालान, विशाल पड़िया, विकास अग्रवाल, दीपक गोयनका, कमलेश संचेती, अभिषेक अग्रवाल, आशीष डालमिया, सोनू मिश्रा शामिल हैं। मुझे इस घटना के बारे में न तो कोई जानकारी और न कोई सूचना है।

-डॉ. राकेश श्रीवास्तव, रिम्स डायरेक्टर


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