दलबदल मामले में झाविमो की ओर से बहस पूरी
झाविमो से भाजपा में शामिल हुए छह विधायकों के दलबदल मामले में वादी पक्ष (झाविमो) ने अपना पक्ष रखा।
रांची : झाविमो से भाजपा में शामिल हुए छह विधायकों के दलबदल मामले में वादी पक्ष (झाविमो) की ओर चल रही बहस शुक्रवार को पूरी हो गई। वादी पक्ष के अधिवक्ता राजनंदन सहाय ने बहस के दौरान केरल, असम और बिहार से जुड़े ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य न्यायालयों से जारी फैसले का हवाला दिया। संबंधित फैसले को आधार बताते हुए उन्होंने सभी छह विधायकों की सदस्यता रद करने की मांग दोहराई। अगले शुक्रवार से इस मामले में प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) की ओर से बहस होगी। इसके बाद मामले में स्पीकर कोर्ट अपना फैसला देगा। बताते चलें कि झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद अमर कुमार बाउरी, नवीन जायसवाल, गणेश गंझू, रणधीर सिंह, आलोक चौरसिया और जानकी यादव ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इनमें से अमर कुमार बाउरी और रणधीर सिंह सरकार में मंत्री हैं। वादी पक्ष की ओर से झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने इस दलबदल का मामला करार देते हुए स्पीकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में 10वीं अनुसूची का हवाला देते हुए संबंधित विधायकों की सदस्यता रद करने की मांग की गई थी।
शुक्रवार को बहस के दौरान अधिवक्ता राजनंदन सहाय ने कहा कि प्रतिवादी पक्ष का यह कहना कि झाविमो का भाजपा में विलय हो गया है, यह सरासर गलत है। संबंधित विधायकों ने स्वेच्छा से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। पार्टी के विलय से संबंधित किसी भी तरह का ठोस साक्ष्य प्रतिवादी पक्ष ने अबतक कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराया गया है। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना में झाविमो की मान्यता आज भी राजनीतिक दल के रूप में है।
उन्होंने कहा कि झाविमो के संविधान के अनुसार कार्यसमिति के दो तिहाई हिस्से के सहमति से ही पार्टी का विलय संभव है, जिसका अनुपालन नहीं किया गया। और तो और आठ फरवरी 2015 को दलादिली में आयोजित जिस बैठक में झाविमो के विलय का दावा प्रतिवादी पक्ष ठोक रहा है, वह कार्यसमिति की बैठक थी ही नहीं। बैठक से संबंधित कार्यवाही में प्रस्तावना से ऊपर तथाकथित सदस्यों का हस्ताक्षर खुद में सवाल खड़ा करता है।
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