43 लाख वयस्क अभी भी नहीं जानते पढ़ना-लिखना
झारखंड में अभी भी वयस्कों की साक्षरता दर काफी कम है। सरकार ने जो लक्ष्य हासि किया था उससे काफी पीछे। सरकार ने 2022 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने की घोषणा की थी, जो फिलहाल पूरी होती नजर नहीं आती। क्यों अभी भी 43 लाख वयस्क साक्षर नहीं हैं।
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर विशेष
सबहेड : 31 मार्च से राज्य में बंद है साक्षरता कार्यक्रम
-सीएम ने की है 2020 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने की घोषणा
-साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर हुए 40 लाख निरक्षर
राज्य ब्यूरो, रांची : पिछले साल ही उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर रांची में आयोजित कार्यक्रम में देश भर में साक्षरता की रोशनी से दूर रह रहे बीस फीसद आबादी पर चिंता जाहिर की थी। झारखंड में भी साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत 40 लाख निरक्षरों को साक्षर बनाने के बावजूद अभी भी 43 लाख वयस्क पढ़ना-लिखना नहीं जानते।
इधर, केंद्र के निर्देश पर राज्य में साक्षर भारत कार्यक्रम इस साल 31 मार्च से ही बंद हो गया है। इससे साक्षरता से जुड़े सारे कार्यक्रम ठप है। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण व जिला-प्रखंड इकाइयों को भी समाप्त किया जा रहा है। इनमें संविदा पर कार्यरत तमाम कर्मियों की 31 मार्च से सेवा समाप्त कर दी गई है। दूसरी तरफ, राज्य बजट से ऐसी कोई नई योजना शुरू नहीं हो सकी। बता दें कि मुख्यमंत्री ने रघुवर दास ने पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर वर्ष 2020 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने की बात कही थी। बता दें कि अभी तक 630 पंचायतें पूर्ण रूप से साक्षर हुई हैं।
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नई योजना ला सकती है केंद्र सरकार
चर्चा है कि केंद्र सरकार इस कार्यक्रम के बदले कोई नई योजना ला रही है। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इसके ड्राफ्ट पर चर्चा होगी।
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नवसाक्षरों में 70 फीसद महिलाएं
झारखंड में साक्षर भारत हुए लोगों में 70 फीसदी महिलाएं हैं। यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक महिला पूरे परिवार को शिक्षित कर देती है।
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