रुक्का डैम के जलस्तर में हुई वृद्धि, नहीं होगी परेशानी
लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश की वजह से रुक्का डैम जलमग्न हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि अब पूरे साल शहर को पानी सप्लाई आसानी से हो सकेगी। लगभग 70 फीसद शहरी क्षेत्र को रुक्का डैम से पानी दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, रांची : राजधानी के 70 फीसदी इलाके को पानी देने वाला रुक्का डैम पर्याप्त पानी की दिशा में मजबूती से अग्रसर है। पिछले तीन दिनों से राजधानी में हो रही बारिश का असर डैम में देखने को मिल रहा है। पानी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। शुक्रवार को डैम में 17 फीट सात इंच पानी था। लेकिन पिछले वर्ष से यह दो फीट दो इंच कम है। यानी ठीक एक साल पहले डैम में 19 फीट 8 इंच पानी था। अधिकारिक बयान के अनुसार इसके बाद भी शहर में जलापूर्ति के लिए इतना पानी काफी है। रुक्का जलशोध प्लांट के सहायक अभियंता प्रभुशंकर राम ने कहा कि शहर में जलापूर्ति के लिए डैम में पर्याप्त पानी हो चुका है। इतने पानी से सभी क्षेत्रों को साल भर पानी दिया जा सकता है।
ज्ञात हो कि रुक्का डैम से शहर का सबसे बड़ा हिस्सा पानी प्राप्त करता है। इससे बूटी, कांटाटोली, बरियातु, रिम्स, करमटोली, मोरहाबादी, अपर बाजार, मेन रोड, ¨हदपीढ़ी, थड़पखना, कर्बला चौक, पीपी कंपाउंड, चुटिया, बहुबाजार, लोवाडीह, डंगराटोली, कोकर, लालपुर, दीपाटोली और रातू रोड इलाके को पानी मिलता है। पिछले वर्ष बरसात में डैम में 28 फीट पानी था जिसके बाद डैम के सातों रेडियल गेट खोलने पड़े थे। लेकिन इस वर्ष ऐसी स्थिति नहीं है। डैम के पानी से विद्युत उत्पादन बन सकता है सप्लाई में रोड़ा
सप्लाई की दृष्टि से भले ही डैम में पर्याप्त पानी हो लेकिन यदि डैम से विद्युत उत्पादन होता रहा तो जल्द ही जलापूर्ति को ले कर समस्या हो सकती है। ज्ञात हो कि गेतलसूद डैम के दूसरी ओर सिकदरी हाईड्रल पावर के तहत बिजली उत्पादन का कार्य चल रहा है। जानकारी के अनुसार जलापूर्ति के लिए डैम का जितना पानी 15 दिनों में खत्म होता है, विद्युत उत्पादन में उतना पानी एक ही दिन में खत्म हो जाता है। यदि डैम के पानी से लगातार विद्युत उत्पादन का कार्य चलता रहा तो आने वाले दिनों में समस्या हो सकती है। डैम के नीचे बैठा गाद बन रही समस्या -
रुक्का डैम की सबसे बड़ी समस्या डैम के नीचे बैठा गाद है। डैम के निर्माण के वक्त डेड प्वाइंट 1906 फीट (समुद्रतल से) घोषित किया गया था। इसका अर्थ था कि इससे नीचे का पानी जलापूर्ति योग्य नहीं है। लेकिन बीते 48 सालों में डैम का डेड प्वाइंट 1910 फीट कर दिया गया। इसका स्पष्ट अर्थ है कि डैम के नीचे का गाद भरता जा रहा है। डैम के विशाल क्षेत्रफल में भी अगर चार फीट गाद भर जाए तो निश्चय ही चिंता का विषय है। आने वाले दिनों में सह गंभीर समस्या का कारण बन सकता है।