गरीब बच्चों के बीच जला रहे हैं शिक्षा की लौ
रांची के अब्दुल गफ्फार और उनकी पत्नी गरीबों बच्चों को साक्षर बनाने के मुहिम में लगे हुए हैं। उनके द्वारा सैकड़ों बच्चों को शिक्षित किया जा रहा हैं। बच्चों को निश्शुल्क पुस्तकें बांटी जा रही हैं।
नरेंद्र कुमार मिश्रा,रांची : अब्दुल गफ्फार दंपती के खुद के बच्चे नहीं हैं मगर उनके आंगन में ढेरों बच्चों की आवाज गूंजती है। समाज के गरीब बच्चे ही उनके बच्चे हैं। एक तरह शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रही है वहीं गफ्फार दंपती बच्चों में शिक्षा की लौ जला रहे हैं। उन्हीें में अपने बच्चों का सपना देखते हैं।
गरीबों के बच्चे उनके एजेंडे में 67वर्षीय अब्दुल गफ्फार खां और उनकी पत्नी निशात अख्तर दोनों के एजेंडे में गरीब बच्चे हैं। वैसे बच्चे जो आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। ऐसे ही बच्चों को दोनों मिलकर पिछले 12 वर्षो से निश्शुल्क पढ़ा रहे हैं। कांटाटोली के मौलाना आजाद कॉलोनी के रहने वाले दंपती का अपना संतान नहीं है। लेकिन दर्जनों बच्चों से उनका घर आंगन हमेशा आबाद रहता है। फिलहाल वह दसवीं कक्षा तक के पचास से ज्यादा बच्चों को अपने आवास पर पढ़ा रहे हैं। पेंशन के पैसे से कॉपी, किताब व कलम भी बच्चों को दे रहे हैं। पति-पत्नी मिलकर ¨हदी, अरबी, उर्दू, अंग्रेजी व गणित की तालीम दे रहे हैं। साथ ही बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला भी करा रहे हैं। कहते हैं की हमारे समाज के बच्चे जब शिक्षित होंगे तभी हमारा समाज सभ्य कहलाएगा।
2005 से बांट रहे हैं शिक्षा-
अब्दूल गफ्फार खान मिलिट्री इंजीनिय¨रग सर्विस में क्लर्क पद से 2013 में सेवानिवृत्त हुए हैं। लेकिन वह अपनी पत्नी के साथ 2005 से ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 2002 में क्लाइकोंडा से रांची तबादला हुआ था। उसके बाद वह मौलाना आजाद कॉलोनी स्थित अपने पैतृक आवास में रहने लगे। इस दौरान उन्होंने अपने आसपास के बच्चों को नशे की गिरफ्त में देखा। कुछ ऐसे परिवार से भी मिले जिनके बच्चे आर्थिक अभाव के कारण पढ़ाई से वंचित थे। उन्होंने समाज के बच्चों के बीच निश्शुल्क शिक्षा देने का फैसला किया। रोज शाम चार बजे से छह बजे तक बच्चों को पढ़ाते हैं। मौलाना आजाद नगर, सुल्तान कॉलोनी, गौस नगर, गाढ़ा टोली, कुरैशी मोहल्ल आदि मोहल्ले के बच्चें शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सड़क पर बच्चों को देते हैं तालीम सड़क से घर में
शुरुआती दौर में अपने आवास के सामने सड़क पर ही बच्चों को पढ़ाते थे। फिर उन्होंने घर के छत पर बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की।
पढ़ाते थे दो शिक्षक जब नौकरी में थे तो बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें ज्यादा समय नहीं मिल पाता था। तब बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने पैसे से दो शिक्षक रखे थे। जब वह सेवानिवृत्त हुए तो शिक्षक की जगह पर खुद अपनी पत्नी के साथ सक्रिय रूप से बच्चों को पढ़ाने लगे। देश भक्ति गीत से होती है कक्षा की शुरुआत
अब्दूल गफ्फार खान व उनकी पत्नी निशात अख्तर, सारे जहां से अच्छा ¨हदोस्तां हमारा.. देश भक्ति गीत से कक्षा की शुरुआत करते हैं। कक्षा की समाप्ति प्रार्थना व राष्ट्रीय गान से होती है।