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बुढ़मू में भूमिगत खदान धंसी, जमींदोज होने से बचे कई घर

राजधानी के बुढ़मू थाना क्षेत्र की बंद पड़ी सीसीएल की छापर कोलयरी की खदान धंस गई है।

By Edited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 10:43 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 02:38 PM (IST)
बुढ़मू में भूमिगत खदान धंसी, जमींदोज होने से बचे कई घर
बुढ़मू में भूमिगत खदान धंसी, जमींदोज होने से बचे कई घर

रांची, जेएनएन। बुढ़मू थाना क्षेत्र की बंद पड़ी सीसीएल की छापर कोलयरी की सात नंबर भूमिगत खदान गुरुवार को धंस गई। अचानक जमीन फट गई और 10 फीट नीचे गहरी खाई हो गई। आसपास की जमीन गर्म हो गई और जगह-जगह फटी जमीन से धुआ निकलने लगा। घटना गुरुवार की है। जिस जगह जमीन फटी है। वहां पर 15 से 20 परिवारों के 100 लोग रहते हैं। खदान धंसने व जमीन से धुआं निकलने से वहां रहनेवाले लोगों में दहशत फैल गई। डर के मारे 13 परिवार वहां से पलायन कर गए।

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सूचना पाकर पहुंचे बुढ़मू थानाप्रभारी राकेश रंजन सिंह व स्थानीय पत्रकारों ने आनन-फानन में एहतियात के तौर पर घर को खाली कराया। साथ ही सभी परिवारों को सुरक्षित स्थान पर भेजा। घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन व सीसीएल अधिकारियों को फोन के माध्यम से दे दी गई है। समाचार लिखे जाने तक कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था।

सीओ व थानेदार ने एहतियात बरतने की दी थी सलाह : दुर्घटना की आशका को देखते हुए बीते 5 सितंबर को ही बुढ़मू सीओ सुनील चंद्रा, थानेदार राकेश रंजन सिंह ने उक्त खदानों का निरीक्षण कर लोगो को विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी थी। साथ ही, खदान के आसपास आने के लिए मना किया था। अवैध खनन के कारण घटी घटना : वर्ष वर्ष 2002 में छापर कोलयरी के बंद होने के बाद यहां की 1 से 21 नंबर तक की संचालित सभी 21 खदानों के मुहाने बंद कर दिए गए थे। पर, कुछ ही वर्षो बाद क्षेत्र के कुछ कोल माफिया छापर व आसपास के ही ग्रामीणों ने मिलकर 7, 9, 14 ,15 एवं 17 नंबर की खदानों का मुहाना फिर से खोलकर अवैध कोयला के कारोबार में लग गए।

कोयले का खनन इस कदर किया गया कि आज सारी बस्ती ही जमींदोज होने की कगार पर पहुंच गई है। स्थिति आज इतनी भयावह है कि कब किस समय सारी बस्ती जमींदोज हो जाए यह किसी को पता भी नहीं चल पाएगा। ऐसा नहीं की अवैध कोयला उत्खनन की जानकारी सीसीएल प्रबंधन व प्रशासन को नहीं थी। 13 परिवार कर गए पलायन : सात नंबर की खदान धंसने से आसपास के 13 परिवार के लोग पलायन कर गए हैं। इसमें योगेंद्र राणा, सहजु करमाली, मंगल गंझू, बंधन गंझू, रामचंद्र गंझू, सुहमति देवी, लक्ष्मण लोहरा, जीवन लोहरा, सोरेन, कलवा मांझी व अन्य। इनके घरों की दीवारें क्षतिग्रस्त भी हो गई हैं।


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