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गोवंश तस्करी के लिए दो आइपीएस को मैनेज करने की हुई थी कोशिश

पुलिस की वर्दी पहन वसूली करते थे एसपीसीए के सदस्य, एक फर्जी दारोगा जा चुका है जेल

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 10:27 AM (IST)
गोवंश तस्करी के लिए दो आइपीएस को मैनेज करने की हुई थी कोशिश
गोवंश तस्करी के लिए दो आइपीएस को मैनेज करने की हुई थी कोशिश

जागरण संवाददाता, रांची : राजधानी रांची सहित अन्य जिलों में गोवंश की व्यवस्थित तस्करी के लिए राज्य के दो आइपीएस अधिकारियों को मैनेज करने की कोशिश हो चुकी है। यह कोशिश फर्जी पुलिस बन वसूली करने वाले एसपीसीए (सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी टू एनिमल्स) के फर्जी पुलिसकर्मियों ने की थी। पहली कोशिश फर्जी दारोगा के पकड़े जाने से पहले और दूसरी कोशिश फर्जी दारोगा जितेंद्र सिंह के गिरफ्तार रहने के दौरान हुई थी। दोनों ही स्थिति में आइपीएस अधिकारियों ने मैनेज की बातचीत करने वाले अधिकारियों की जमकर पिटाई की थी। पिटाई के बाद अलग से केस करने की चेतावनी के साथ माफीनामा के बाद छोड़ा गया था।

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इधर रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता ने एसपीसीए के फर्जी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उनकी अवैध वसूली सहित अन्य ब्लैकमेलिंग की गतिविधियों का जिक्र किया है। इसमें फर्जी दारोगा जितेंद्र सिंह की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए धुर्वा थाने में कांड संख्या 197/18 का जिक्र किया गया है।

बताते चलें कि दैनिक जागरण ने बीते 20 अगस्त और इसके बाद भी लगातार फर्जी पुलिस बनकर गोवंश की तस्करी और उगाही का मामला प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद एसएसपी अनीश गुप्ता ने संज्ञान में लेकर इसपर कार्रवाई की। बीते 22 अगस्त को फर्जी दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। क्या है रिपोर्ट में :

रिपोर्ट में उल्लेख है कि एसपीसीए के सदस्य वर्दी में वसूली का काम करते हैं। धमकाते हुए रुपये ऐंठते हैं। उदाहरण में रातू कांठीटांड़ में उत्तरप्रदेश के पशु कारोबारी विरेंद्र कुमार सिंह द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी का हवाला देते हुए बताया है कि रातू कांठीटांड के समीप एक बोलेरो से वर्दीधारी एसपीसीए सदस्यों ने मवेशी लदा ट्रक रोककर 2.85 लाख रुपये वसूली की थी। इससे पहले ब्लैकमेल करने के लिए सीठियो टीओपी के पास मवेशियों को उतरवा दिया था। इसमें जितेंद्र सिंह, प्रेमचंद्र सिंह व मनीष कुमार सिंह शामिल थे। इसी तरह अन्य इलाकों में भी मवेशियों की तस्करी और ठगी का गोरखधंधा जारी है। -----

तत्कालीन डीएसपी व थानेदारों के खिलाफ चल रही जांच

बुंडू के तत्कालीन डीएसपी सहित तीन थानेदारों की भूमिका की एसआइटी जांच कर रही है। ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग को एसआइटी का कामन सौंपा गया है। बुंडू के तत्कालीन डीएसपी केवी रमण, बुंडू थानेदार, तमाड़ थानेदार और दशम फॉल थानेदार पर एसपीसीए के फर्जी पुलिसकर्मियों से मिलकर गोवंश की तस्करी कराए जाने में भूमिका सामने आई थी। इससे संबंधित ऑडियो, वीडियो भी पुलिस के वरीय अधिकारी खंगाल रहे हैं।

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शहर को जोड़ने वाले सभी हाईवे पर तस्करी

गोवंश की तस्करी रांची शहर को जोड़ने वाली सभी राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गो पर हो रही है। रांची-लोहरदगा रोड, रांची-टाटा रोड, रांची-खूंटी रोड और रांची-रामगढ़ रोड में गोवंश की जोरों पर तस्करी चल रही है। इसमें एसपीसीए की मिलीभगत और रेंज के थानेदारों की भूमिका भी संदिग्ध है। हालांकि एसपीसीए के फर्जी दारोगा की गिरफ्तारी के बाद इनकी गतिविधि बंद है। --- कोट----

'गोवंश की तस्करी पर रोक के लिए सभी थानेदारों को सख्त हिदायत दी गई है। एसपीसीए के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच चल रही है।'

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची।


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