प्रभार और ठेके पर विवि की शिक्षा व्यवस्था
प्रणय कुमार सिंह, रांची उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर लाखों खर्च कर खूब सेमिनार होते हैं पर पद खाली हैं।
By Edited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 07:58 AM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:58 AM (IST)
प्रणय कुमार सिंह, रांची उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर लाखों खर्च कर खूब सेमिनार होते हैं। क्वालिटी एजुकेशन को ले राज्य सरकार तमाम तरह के दावे और वादे कर कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि उच्च शिक्षा प्रभार और ठेके पर चल रही है। ऐसे में क्वालिटी एजुकेशन की बात बेमानी हो जाती है। बात रांची विवि की करें तो यहां आधा दर्जन अहम पद प्रभार में ही चल रहे हैं तो दूसरी ओर अधिकतर कॉलेजों व पीजी विभागों में शिक्षण अनुबंध पर नियुक्त शिक्षक कर रहे हैं। कुछ अहम पद पर नियुक्ति न होकर प्रभार पर चलना परंपरा सी बन गई है। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जेपीएससी ने आवेदन मांगा है। लेकिन विज्ञापन में त्रुटियों की बात कह अभ्यर्थी न्यायालय चले गए हैं। यानी शिक्षक नियुक्ति में अड़चनें हैं। निदेशक से लेकर नियंत्रक तक प्रभार में मानव संसाधन विकास केंद्र में निदेशक का पद प्रभार में चल रहा है। वर्तमान में डॉ. अशोक चौधरी निदेशक हैं। डॉ. चौधरी के पास पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक का पद भी प्रभार में है। इसी तरह रांची विवि में परीक्षा नियंत्रक पद से डॉ. आशीष कुमार झा के इस्तीफे के बाद डॉ. राजेश कुमार को पद के लिए निर्धारित आयु से अधिक होने के बाद भी इन्हें प्रभार मिला है। विवि प्रशासन ने राजभवन से अनुमति लेकर डॉ. राजेश को प्रभारी परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया है। विवि जेपीएससी को परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति के लिए अधियाचना नहीं भेजा है। इसी तरह विवि में करीब दो वर्षो से प्रोक्टर का पद भी प्रभार में है। डॉ. दिवाकर मिंज का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विवि प्रशासन ने नए प्रोक्टर नियुक्त करने की जगह इन्हें ही अगले आदेश तक बने रहने का निर्देश दिया है। विवि बना डिग्री बांटने की फैक्ट्री शिक्षक के अभाव में उच्च शिक्षा का हाल बदहाल है। छात्रों के भविष्य गढ़ने वाले कॉलेजों में शिक्षकों की कमी ने गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर ग्रहण लगा दिया है। विवि महज डिग्री बांटने वाली फैक्ट्री बन गई है। राज्य के 47 डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हुई, लेकिन मिले केवल 24 प्राचार्य। यानी प्राचार्य के 23 पद अभी भी खाली हैं। बात रांची विवि की करें तो यहां 15 अंगीभूत कॉलेजों में नौ में ही प्राचार्य हैं। रांची विवि के पीजी विभागों में प्रोफेसर के सृजित 38 पद आज तक नहीं भरा जा सका है। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर के 79 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 267 पद रिक्त हैं। पीजी में शिक्षक व छात्रों का अनुपात 1:20 होना चाहिए। लेकिन यहां एक कक्षा में 40 से 100 विद्यार्थी हैं। राज्य बनने के बाद केवल एक बार नियुक्ति राज्य बनने के बाद केवल एक बार वर्ष 2008 में 751 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हुई थी। इसमें रांची विवि को 257 असिस्टेंट प्रोफेसर मिले थे। रांची विवि में करीब 600 अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इन्हें 600 रुपये प्रति कक्षा मिलेंगे। इस मानदेय पर इन शिक्षकों से शिक्षा में गुणवत्ता की उम्मीद करना बेमानी होगी।
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