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अगले जन्म मोहे बिटिया ही दीजो .. सिल्वर गर्ल मधुमिता की सफलता पर पिता गदगद

हजारों प्रशंसकों के बीच घिरी मधुमिता की सफलता पर उसके पिता फूले नहीं समा रहे हैं।

By Edited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 01:14 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 01:47 PM (IST)
अगले जन्म मोहे बिटिया ही दीजो .. सिल्वर गर्ल मधुमिता की सफलता पर पिता गदगद
अगले जन्म मोहे बिटिया ही दीजो .. सिल्वर गर्ल मधुमिता की सफलता पर पिता गदगद

रांची, संजीव रंजन। हजारों प्रशंसकों के बीच घिरी मधुमिता कुमारी को देख एक तरफ खड़े उसके पिता जितेंद्र नारायण सिंह की आंखें रह रहकर भर आती उसे पोछते फिर चेहरे पर मुस्कान आती। यह सिलसिला रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर देखने को मिला और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो के निवास पर। भले वे मुंह से कुछ बोल नहीं रहे थे लेकिन उन्हें यह देख समझा जा सकता था कि बेटी की इस सफलता से एक पिता का सीना गर्व से ऊंचा हो गया। जब उनसे बेटी की सफलता के संबंध में पूछा तो उन्होंने तत्काल कहा कि अगले जन्म में भी भगवान मुझे ऐसी ही बिटिया दें। बेटी ने आज वह कर दिखाया जो कई बेटे मिलकर भी नहीं कर सकते।

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उन्होंने कहा बेवकूफ है वे लोग जो बेटी की जन्म पर अफसोस करते हैं, बेटिया घर की लक्ष्मी होती है और हमारे घर की लक्ष्मी मधुमिता है जिसने अपने जन्म को सार्थक कर दिया। उसने देश के साथ-साथ राज्य का भी गौरव बढ़ाया है। हर मा बाप का सपना होता है कि बच्चे उनसे आगे निकले। मधुमिता ने वह कर दिखाया। कल तक सब मधुमिता को मेरी बेटी कहा करते थे आज लोग मुझे मधुमिता का पिता कहते हैं। यह मेरे जीवन का ऐसा सुनहरा पल है जो आजीवन मुझे याद रहेगा।

स्वागत देख अभिभूत हुए : मधुमिता का स्वागत देख कर पिता जितेंद्र नारायण सिंह अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा जिस तरह लोग मेरी बेटी को प्यार कर रहे हैं उसे देख मैं कह सकता हूं कि वह झारखंड की बेटी है और सभी उसके अभिभावक। उसकी सफलता पर राज्य के सवा तीन करोड़ लोग खुश हैं यह उसके लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। यह उसके आगे के सफर के लिए संजीवनी का काम करेगा और आने वाले प्रतियोगिताओं में वह और भी बेहतर प्रदर्शन करेगी।

जिद ने बेटी को पदक दिलाया : जितेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि मधुमिता बचपन से जिद्दी स्वभाव की है और जो वह करने को ठान लेती है उसे करके ही दम लेती है। अपनी जिद के कारण ही उसने तीरंदाजी सीखी। इसी जिद के कारण वह बिरसा मुंडा तीरंदाजी सेंटर सिल्ली पहुंची और सुविधाओं को त्याग कर एकलव्य की तरह अभ्यास में जुट गई। उसी जिद ने उसे भारतीय टीम में जगह बनाने में मदद की। इंडोनेशिया जाने से पूर्व उसने कहा भी था मैं कुछ बेहतर करके आऊंगी। उसने जो कहा वह कर दिखाया और मुझे उस पर गर्व है।


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