सत्ता का गलियारा : हुजूर को देश देख रहा है..कंघी से कमल..
झारखंड की राजनीति रोज नई करवट लेती है।
रांची, जेएनएन। अपने छह झारखंडी विधायकों ने हुजूर को खूब नचाया है। कंघी से खुद को संवारना रास न आया तो कमल खिलाने चल दिए। देखते ही देखते राज्य में कमल भी खिल गया और विधायकों की टोली भी खिल गई, परंतु लाल बाबू मुरझा गए। कब तक शांत बैठते, न्याय के लिए हुजूर का दर खटखटा दिया।
हुजूर ठहरे न्याय प्रिय। लोकतंत्र है, यहां सबकुछ संविधान के हिसाब से धीरे-धीरे चलता है। याचिका दायर होगी, गवाह आएंगे, बयान दर्ज होंगे, सुनवाई होगी, बहस चलेगी, फिर .. फैसला ..। काले कोट वाले भाईसाहब आखिर कबतक चुप बैठते, बहस कर थक गए, लंबी सांस ली और धीरे से कह डाला, विधायकों ने लंबी पारी खेल ली, चार साल हो गए, हुजूर को पूरा देश देख रहा है..।
झारखंड में भी गुरुजी तैयार : शोहरत किसे अच्छी नहीं लगती। बिहार में एक वरीय पुलिस पदाधिकारी ने आइआइटी के लिए छात्रों को तैयार करके जो शोहरत हासिल की उसका पार्ट टू झारखंड में शीघ्र ही देखने को मिल सकता है।
यहां एक आइएएस अधिकारी ने अपने लिए पता-ठिकाना भी तय कर लिया है। सरकार को भी बता दिया कि आगे जो भी हो, नौकरी छोड़कर पढ़ाने-लिखाने का काम शुरू करेंगे। बताते हैं कि राज्य के सबसे बड़े सेवक ने उन्हें रुकने के लिए कहा भी था। उनको समझाने गए दूत का जवाब था - गुरुजी अब मानेंगे नहीं।
चलो विदेश चलें : झारखंड के नेताओं और अफसरों की विदेश यात्रा का योग इन दिनों खूब बना हुआ है। जिसे देखो विदेश का रुख कर रहा है। राज्य के मुख्य सेवक ने तीन माननीयों और तीन विश्वसनीय संग पांच दिनों के लिए पड़ोसी देश का रुख कर लिया।
खेती-बाड़ी देखने वाली मैडम भी डेनमार्क हो आई। किसानों संग इजरायल ऐसे देश का दौरा आधा दर्जन अफसरों ने कर लिया और अब इधर, चतरा वाले भी महामहिम संग यूरोप जा रहे हैं। कुछ और भी लाइन में हैं।
इन सभी के हाथों में विदेश यात्रा का योग प्रबल था तो रुकने का सवाल ही नहीं था। धीर तो सिर्फ मंत्री जी को रखना पड़ा, सारी तैयारी के बावजूद प्रोटोकाल का पेच फंस गया। सुना है बंधा सूटकेस खोल अब चादर ओढ़कर सो रहे हैं।
क्या करें भैया-भाभी का सवाल है : भैया राह दिखाने वाले विभाग के प्रमुख हैं तो भाभी पानी पिलाने वाले विभाग की प्रमुख। सदियों की परंपरा यहां भी टूट नहीं पा रही है। भाभी के विभाग वाले अधिकारी मूंछ तान कर घूम रहें हैं अब उनका कोई क्या करेगा। अरे. दूसरी ओर ध्यान मत भटकाइए।
हम कह रहे हैं कि मरम्मत के नाम पर जब न तब बिना बताए पानी वाले लोग रोड खोद देता है। काम के बाद रोड को ऐसे ही छोड़ देते हैं। राह दिखाने वाले अधिकारी पानी वाले विभाग को कई बार पत्र लिख कर चेतावनी भी दी है कि जैसा रोड था वैसा कर दिया जाए, लेकिन पानी वाले विभाग के अधिकारियों के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही है।
थक हार कर अपना रास्ता बचाने के चक्कर में रोड वाले अधिकारी घनचक्कर हो गए। अब विभाग में चर्चा हो रही कि इस मामले में तो साहब भी कुछ नहीं कर पार रहे हैं क्योंकि भैया-भाभी का सवाल है।