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चिकनगुनिया का कहर मामूली नहीं, केंद्रीय टीम भी सकते में

प्रभात गोपाल झा, रांची : इस बार शहर में चिकनगुनिया के कहर ने केंद्र से आई एनसीडीसी टीम के प

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 08:54 AM (IST)
चिकनगुनिया का कहर मामूली नहीं, केंद्रीय टीम भी सकते में
चिकनगुनिया का कहर मामूली नहीं, केंद्रीय टीम भी सकते में

प्रभात गोपाल झा, रांची : इस बार शहर में चिकनगुनिया के कहर ने केंद्र से आई एनसीडीसी टीम के पसीने छुड़ा दिए हैं। एनसीडीसी टीम के प्रमुख डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि पूरे देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या के बीच इतना बड़ा अंतर हो। पिछले साल तक श्किल से चिकनगुनिया के गिने-चुने मरीज होते थे। लेकिन इस बार अकेले रांची में 500 से ज्यादा मरीज मिले हैं, वहीं 73 मरीज डेंगू के मिले हैं। मरीजों के तुलनात्मक प्रतिशत में इतना बड़ा अंतर ही चिंता का कारण बन रहा है। हो सकता है चिकनगुनिया का नया रूप

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डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि यह चिकनगुनिया का एकदम नया रूप भी हो सकता है। क्योंकि चिकनगुनिया और डेंगू के मच्छर एक ही प्रजाति एडिस से हैं। ऐसे में चिकनगुनिया का कहर डेंगू से सौ फीसद ज्यादा होना ही गहरी चिंता पैदा कर रहा है। ¨हदपीढ़ी एरिया को फोकस कर एंटोमॉलोजिकल सर्वे किया जा रहा है।

चलाया जाएगा केस कंट्रोल प्रोग्राम

एनसीडीसी टीम के प्रमुख डॉ. राकेश कुमार गुप्ता और डॉ. पंकज कुमार एंटोमॉलोजिस्ट ने रिम्स के सुप¨रटेंडेंट डॉ. विवेक कश्यप से शुक्रवार को भेंट की और उनसे इस सिलसिले में मदद मांगी। उनका कहना था कि रिम्स के पीजी स्टूडेंट अगर केस कंट्रोल प्रोग्राम और डिजाइन की ट्रेनिंग ले लेंगे, तो आगे से होनेवाले हर संकट का मुकाबला किया जा सकेगा। इसके लिए फिर सेंट्रल टीम को अलग से आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डॉ. कश्यप ने दो पीजी स्टूडेंट को सर्वे में सहयोग करने का निर्देश दिया है।

रोग से प्रभावित और अप्रभावित वर्ग का अध्ययन

सर्वे में खास इलाके में निवास कर रहे समान समुदाय के प्रभावित और अप्रभावित वर्ग के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। इसमें अप्रभावित वर्ग की रोग प्रतिरोधक क्षमता का आकलन कर रोगों की काट के लिए निष्कर्ष या रास्ता निकाला जाएगा। इसमें यह देखा जाएगा कि अप्रभावित सदस्य कैसे मच्छरों के काटने के बाद भी बीमार नहीं हुए।


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