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सुरक्षित मातृत्व को मिलेगा संबल

चिकित्सकों को जोड़ने के लिए उनके साथ बैठक,अभी तक महज 114 निजी चिकित्सक ही अभियान से जुड़े।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 01:20 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 01:20 PM (IST)
सुरक्षित मातृत्व को मिलेगा संबल
सुरक्षित मातृत्व को मिलेगा संबल

राज्य ब्यूरो, रांची : राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान-झारखंड के अभियान निदेशक कृपानंद झा ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान से अधिक से अधिक निजी चिकित्सकों को जोड़ने का निर्देश सभी सिविल सर्जनों को दिया है। आकांक्षी जिलों में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार को लेकर आयोजित बैठक में उन्होंने स्वीकार किया कि इस अभियान में अभी तक महज 114 निजी चिकित्सक ही जुड़ सके हैं।

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उन्होंने इस संख्या को बढ़ाने के लिए निजी चिकित्सकों के साथ बैठक करने तथा उन्हें प्रत्येक माह नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क जांच के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया। उन्होंने इस कार्य में सेवानिवृत्त चिकित्सकों को भी जोड़ने को कहा।

'दैनिक जागरण' ने 24 जून के अंक में डॉक्टर साहेब को रास नहीं आई पीएम की 'मन की बात' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर इस अभियान में अभी तक महज 11 निजी चिकित्सकों की निश्शुल्क सेवा देने का मामला उठाया था। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में निजी चिकित्सकों से प्रत्येक माह नौ तारीख को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क जांच का आह्वान किया था।

सिविल सर्जन बनाएं एक्शन प्लान :

अभियान निदेशक ने स्वास्थ्य मानकों में सुधार के लिए सभी सिविल सर्जनों को एक्शन प्लान बनाने का भी निर्देश दिया। कहा कि 19 आकाक्षी जिलों की समीक्षा में 31 से 32 स्वास्थ्य मानकों के आधार पर उनके परफारमेंस का आकलन होगा। उन्होंने टीकाकरण से संबंधित मिशन इंद्रधनुष अभियान की प्रगति में सुधार का भी निर्देश दिया।

प्रत्येक तीन माह पर आएगी नीति आयोग की टीम :

इस अवसर पर पब्लिक हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन एनएचएसआरसी के सलाहकार और प्रमुख डा. हिमांशु भूषण ने अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के नियमित भ्रमण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की टीम प्रत्येक तीन माह पर राज्य का दौरा कर स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों का सत्यापन करेगी। उन्होंने प्रत्येक सरकारी अस्पतालों में एक हाई डिपिडेंसी यूनिट बनाने की नसीहत दी ताकि मरीजों के परिजनों पर निजी अस्पतालों के खर्च का बोझ न पड़े।


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