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एक ही चापाकल से 200 परिवारों को मिल रहा पानी

कहने को विकास हो रहा है, लेकिन विकास की असली तस्वीर देखनी हो तो वार्ड 38 के हड़सेर बस्ती का रुख करें, विकास की हकीकत सामने आ जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 08:44 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 08:44 AM (IST)
एक ही चापाकल से 200 परिवारों को  मिल रहा पानी
एक ही चापाकल से 200 परिवारों को मिल रहा पानी

रांची : नगर निगम चुनाव खत्म हुए और साथ में कई उम्मीदें भी हर बार की तरह खत्म हो गई। विकास के नाम पर शहर के लोगों को ना तो पीने के लिए पानी मिल सका और ना ही बिजली। धुर्वा डैम के पास वार्ड 38 के हड़सेर बस्ती की स्थिति परेशान करने वाली है। बिजली, पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित यह क्षेत्र रांची नगर निगम क्षेत्र का हिस्सा नहीं लगता। पूरी बस्ती में केवल एक ही चापाकल है जहां से 200 परिवार पानी भरता है। यह चापाकल 25 साल पहले बना था जिसके बाद पानी की सुविधा के लिए ना तो इस क्षेत्र को सप्लाई पाइप मिली है और ना ही कोई अतिरिक्त बो¨रग। एक ओर धुर्वा डैम से स्मार्ट सिटी को पानी देने के डीपीआर तो बन रहा है। लेकिन उसी डैम से महज 400 मीटर की दूरी पर स्थित हड़सेर बस्ती के लोगों को 20 सालों से पानी की पाइप तक नसीब नहीं हो सकी है। विडंबना है कि धुर्वा डैम के निर्माण के लिए इन्हीं लोगों ने अपनी जमीनें दी थी। पक्की सड़क के लिए तरस रहे बस्ती के लोग

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चारो तरफ विकास की बात होती है। लेकिन अगर विकास की हकीकत देखनी हो तो हड़सेर जाइए। यहां के लोग अदद एक पक्की सड़क के लिए वर्षो से तरस रहे हैं। कच्ची सड़क की स्थिति बरसात में इतनी बदतर हो जाती है कि लोगों के लिए चलना मुश्किल हो जाता है। बाइक और साइकिल सवारों के साथ कई बार हादसे भी होते हैं ।

मिट्टी के घरों में घुस जाता है बारिश का पानी -

मुख्य परेशानियों में से एक है कच्चे मकान और और उनमें घुसता बारिश का पानी। बस्ती की औरतों ने बताया कि जब भी बरसात होती है तो बारिश का पानी घर में घुस जाता है। मिट्टी की दीवारों के गिरने का भी डर बना रहता है। जलजमाव को हटाने के लिए लोग खुद ही प्रयास करते हैं। कटोरा, बाल्टी और मग ले कर लोग पानी को हटाने में जुट जाते हैं। ऐसा लगभग हर रोज होता है। 5 किलोमीटर दूर है सबसे निकट का उच्च विद्यालय -

हड़सेर बस्ती के बच्चों को शिक्षा के लिए 5 किलोमीटर दूर तक जाना होता है। यहां उच्च विद्यालय की बात तो छोड़ ही दीजिए, प्राथमिक विद्यालय तक नहीं है। सबसे निकट का उच्च विद्यालय हड़सेर से 5 किमी दूर है। आस-पास के बहुत कम बच्चे स्कूल जाते हैं। कुछ बच्चे स्कूल के दूर होने की वजह से तो कई बच्चे अन्य कारणों से शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार से दूर रह जा रहे हैं। आस-पास कोई निजी स्कूल भी नहीं है। जाम है नालियां, वर्षो से नहीं हुई सफाई

सफाई को ले कर हड़सेर गंभीर समस्या झेल रहा है, नालियां केवल नाम भर की हैं। आलम यह है कि पानी बहता नहीं, उपर से गंदगी और बढ़ जाती है। नालियों के निर्माण के बाद उन्हें ढका नहीं गया और ना ही उनका पक्कीकरण हुआ है। ऐसे में नालियों का कूड़े की वजह से जाम होना स्वाभाविक है। प्रतिक्रिया - बरसात के कारण घर में पानी घुस जाता है। घर में रखे सामानों को नुकसान पहुंचता है। यहां तक कि मिट्टी से बनी दीवारों के लिए भी खतरा रहता है। - जांबी उरांव। सभी घर मिट्टी के हैं। बारिश में पानी से परेशानी होती है और सर्दियों में ठंड से। ना घर है और ना ही पीने के लिए पानी। काफी दिक्कत से गुजर बसर हो रहा है। - तेतरी उरांव। इतने सालों में सप्लाई के लिए पाइप तक नहीं बिछी है। पीने योग्य पानी के लिए काफी परेशानी होती है। डैम से पूरे शहर को पानी मिल रहा है लेकिन हमें नहीं। - मुकेश केरकेट्टा। सड़क की हालत बेहद खराब है। पक्की नहीं होने की वजह से बारिश में यह कीचड़ में तब्दील हो जाती है। लोगों को चलने से ले कर गाड़ियों को आने जाने में भी दिक्कत होती है। - अनूप कुमार। बच्चों के लिए स्कूल नहीं है। ¨रग रोड के पास एक स्कूल है जहां जाने में बच्चों को काफी मसक्कत करनी पड़ती है। शिक्षा पाने के लिए जिस प्रकार आज के बच्चों को परेशानी हो रही है, 20 साल पहले भी ऐरी स्थिति नहीं थी। - रविंद्र तिग्गा। पूरे क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं की बड़ी कमी है। बिजली पानी और सड़क जैसी चीजें भी यहां के लोगों को नसीब नहीं है। जितनी बार भी चुनाव होते हैं केवल उम्मीदें ही मिलती है। - अजय उरांव।


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