बारिश के बाद अब बीमारियां देंगी दस्तक, रहें सावधान
सलोनी, राची : मानसून दस्तक दे चुका है। साथ ही अब दस्तक देने वाली हैं बारिश में होने वाली बीमारियां।
सलोनी, राची : मानसून दस्तक दे चुका है। साथ ही अब दस्तक देने वाली हैं बारिश में होने वाली बीमारियां। जरा सी लापरवाही से आपको परेशान कर सकती है। ये मौसम होता है अपना और अपने परिवार का विशेष ख्याल रखने का। अपने और परिवार के सभी लोगों के खानपान का ध्यान रखने का। अब कई बीमरियां आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता की परीक्षा लेंगी। जैसे मलेरिया, टाइफाइड, स्टमक इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन और भी बहुत सारी बीमारियां। डाक्टर भी कहते हैं कि सावधानी और रोकथाम इलाज से कहीं बेहतर है। शुरू से ही सावधानी बरतें बीमारियों से बचे रहेंगे।
बारिश के मौसम में बच्चों की खास देखभाल करनी चाहिए क्योंकि इन्हे पानी में खेलना बेहद पसंद होता है और पानी में ज्यादा देर तक भींगना कई बीमारियों को न्योता देती है। बारिश के मौसम फंगल इंफेक्शन से बचे
बारिश के मौसम की शुरूआत होते ही इंफेक्शन की समस्या बढ़ जाती है। वैसे इंफेक्शन होने को तो यह किसी भी मौसम में हो सकते हैं पर इस मौसम में नमी ज्यादा होती है जिसके कारण इंफेक्शन ज्यादा फैलता हैं, इस तरह का इंफेक्शन शरीर के उन अंगों में होता हैं जहा नमी हमारे शरीर में ज्यादा देर तक ठहर सकती है, जैसे की थाइज, पैरों और हाथों में उंगलियों के बीच, आर्मपिट्स में। इससे बचने के लिए जरूरी है की प्रत्येक दिन स्नान अच्छे से करें और ढीले सूती कपडे़ पहनें।
बुजुर्गो का रखें विशेष ध्यान
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है। बारिश के मौसम में बुजुगरें का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। क्योंकि उन पर बीमारियां ज्यादा अटैक करती हैं। इस मौसम में जरा सी लापरवाही उन पर भारी पड़ सकती है। 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गो को विषेश ध्यान की जरूरत होती है। तली हुई जीजों से उनको दूर रखें और भीगने से बचाएं। सर्द हवा में घर से बाहर न निकलने दें। बेहतर है कि किसी फीजिशयन की सलाह लेकर उनकी इस मौसम में देखभाल करें।
मॉनसून में पानी से संबंधित बीमारिया ज्यादा होती हैं जिसे वाटरबॉर्न डिजीज कहा जाता है जैसे की जॉन्डिस, पेट खराब होना, टाइफाइड, कॉलरा। इस मौसम में मच्छर भी काफी परेशान करते हैं और कई ऐसी बीमारिया हैं जो इनके काटने से होती हैं जिसमें मलेरिया बहुत आम बिमारी है। बारिश में भीगने से तो बचना ही चाहिए साथ ही खान पान पर अधिक ध्यान देना चाहिए। फंगल इन्फेक्शन्स भी काफी होते हैं जिनके बढ़ने से यह घातक भी साबित हो सकते हैं। इलाज से बेहतर प्रिकॉशन लेना है। थ्रोट इंफेक्शन, बुखार और सर्दी खासी तो बिन बुलाए मेहमान की तरह इस मौसम में कभी भी आ जाते हैं।
डॉक्टर, संजय सिंह, फिजिशियन
कौन कौन सी बीमारिया हैं आम
मलेरिया
टाइफाइड
जॉन्डिस
फंगल इंफेक्शस
बुखार
सर्दी-खासी
पेट संबंधित इंफेक्शन
ऐसे करें बचाव :
घर से साफ पानी लेकर चलें
पानी को आधे घटे उबालने के बाद ठंडा कर पिएं
शरीर को सूखा रखें
पानी में भीगने से बचें
हमेशा छाता लेकर चलें
भीगने पर तुरंत कपडे़ बदलें
मच्छरों से बचें, मच्छरदानी का इस्तमाल करें
बाहर का खाना न खाएं
ढीले सूती कपडे पहनें खान-पान का रखें विशेष ध्यान
ऽ फल जैसे सेब, अनार, नाशपाती, खाएं। पानी युक्त फल इस मौसम में नहीं खाना चाहिए इनसे शरीर में सूजन होती है।
ऽ लहसुन का उपयोग अधिक करें, यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
ऽ नीम, करेला खाने से इंफेक्शन दूर रहता है
ऽ मसालेदार खाने से बचें
ठेले पर की कोई भी चीज न खाएं
बासी वस्तुओं का सेवन न करें।
छोटे बच्चों का रखें विशेष ख्याल
बारिश का मौसम शुरू होते ही सबसे ज्यादा मस्ती के दिन बच्चों के शुरू हो जाते हैं, जिसका खामियाजा भी उनके साथ अभिभावकों को भी भुगतना पड़ता है। जरा सी लापरवाही से बच्चे बीमारी का शिकार हो जाते हैं। जरूरत है इस मौसम में उनकी सही ढंग से देखभाल की। बच्चों का इम्युन सिस्टम बड़ों से कमजोर होता है, ऐसे में उनमें इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। बरसात में डायरिया, दस्त, जॉन्डिस (पीलिया), वायरल फीवर, टायफाइड, सर्दी-खासी आम बीमारिया हैं। इनमें जॉन्डीस और टायफायड से बच्चे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। इसलिए बरसात के मौसम में कुछ बातों का ख्याल रखें।
बच्चों का ऐसे रखें ख्याल
बच्चों को बारिश में ज्यादा न भीगने दें।
बच्चों को ज्यादा देर भीगे हुए कपड़ों में न रहने दें।
अगर बच्चे बरसात में भीग भी जाते हैं तो उनका सिर और बदन अच्छे से पोंछकर रखें।
बाजार में बिकने वाली खुली चीजों को बच्चों को बिल्कुल ना खाने दें। इसके अलावा कच्चा और ठंडा खाना भी ना खिलाएं।
पानी उबालकर या फिल्टर करके ही दें। स्कूल जाने वाले बच्चों को इस मौसम में घर से पानी की बोतल देकर ही भेजे।
मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें।
जॉन्डीस से बचाने के लिए छोटे बच्चों को टीका लगवाना ना भूले।
तीन-तीन साल के अंतराल पर बच्चों को टायफाइड का टीका लगवाएं। इस मौसम में सूती कपड़े बच्चों के लिए ज्यादा अच्छे रहेंगे। छोटे बच्चों की स्किन बहुत सेंसेटिव होती है, लिहाजा उन्हें नहलाने के बाद कोई भी लोशन बिना चिकित्सीय सलाह के न लगाएं। इससे रैशेज हो सकते हैं।