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आपका एक फेक कॉल ले सकती है किसी की जान

एंबुलेंस कॉल सेंटर में रोजाना आनेवाले 3000 कॉल में 2700 फेक, शहरी क्षेत्र में 20 से 25 मिनट के भीतर पहुंचने का है दावा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jun 2018 01:34 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 01:34 PM (IST)
आपका एक फेक कॉल ले सकती है किसी की जान
आपका एक फेक कॉल ले सकती है किसी की जान

संजय कृष्ण, रांची : आपका एक फेक कॉल किसी की जान ले सकता है। जी हां, 108 एंबुलेंस सेवा पर अक्सर लोग बेमतलब फोन करते हैं। फोन को इंगेज रखते हैं। इससे, जिस मरीज को जरूरत होती है, वह वंचित हो जाता है और समय से इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत भी जाती है। दरअसल, डोरंडा के 108 एंबुलेंस कॉल सेंटर में दिन में ऐसे ही फेक कॉल आते हैं। यहीं से पूरे राज्य के एंबुलेंस को संचालित किया जाता है।

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यहां हर दिन करीब तीन हजार कॉल आते हैं और इनमें से मात्र तीन सौ कॉल काम के होते हैं और 2700 फेक। इससे कॉल सेंटर में कार्यरत लोग भी परेशान होते हैं। राज्य के 20 जिलों में 108 एंबुलेंस सेवा है। तीन जिलों में भी जल्द यह सेवा शुरू होने वाली है। 15 नवंबर, 2017 को यह सेवा शुरू हुई थी। एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था होनी है। जल्द ही प्रदेश में तीन सौ से अधिक एंबुलेंस हो जाएगी।

108 एम्बुलेंस सेवा दो श्रेणी में विभाजित की गई है। एडवास लाइफ सेव (एएलएस) और बेसिक लाइफ सेव (बीएलएस)। एएलएस तकनीक से लैस एंबुलेंस में वेंटीलेटर, शॉक मशीन, सेक्शन मशीन, ऑक्सीजन, नीडल डिस्ट्रॉयर, मेडिकल किट के साथ एसी-डीसी करंट की व्यवस्था भी की गई है, जबकि बीएलएस तकनीक में सेक्शन, नेब्युलाइजर, फ‌र्स्ट एड किट और ऑक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा एंबुलेंस में जीपीएस भी लगा है। बीएलएस 179 है और एएलएस 9। कुल 188 एंबुलेंस काम कर रही हैं।

रांची में सर्वाधिक 24 एंबुलेंस :

रांची में सर्वाधिक 24 एंबुलेंस हैं। इसके बाद पश्चिमी सिंहभूम में 21, पलामू में 18, हजारीबाग में 12, गढ़वा में 12, दुमका में 11, गोड्डा में 11, साहिबगंज में 10, सरायकेला में 10, गुमला में नौ, पाकुड़ में आठ, रामगढ़ में सात, लातेहार में छह, सिमडेगा में छह, पूर्वी सिंहभूम में पांच, देवघर में पांच, लोहरदगा में चार, बोकारो में चार, धनबाद में तीन व खूंटी में दो।

24 घंटे काम करता है कॉल सेंटर :

108 एंबुलेंस सेवा 24 घंटे है। आप किसी भी समय कॉल कर एंबुलेंस बुला सकते हैं। शिफ्टों में काम होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 30 से 35 मिनट में एंबुलेंस पहुंच जाता है और शहरी क्षेत्र में 20 से 25 मिनट में।

सर्वाधिक मामले प्रिग्नेंसी के

15 नवंबर से अब तक सर्वाधिक मामले में प्रिग्नेंसी, चाइल्ड बर्थ के आए। करीब 12914। यानी 41.61 प्रतिशत। दूसरे नंबर पर दुर्घटना। 2740 मामले आए। कुल 31039 लोगों की सेवा की गई।

एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस देना है। अभी कुछ जिलों में हमारी पहुंच नहीं है, जल्द हो जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक उपयोगी है एंबुलेंस। बहुत लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं हैं।108 एंबुलेंस कई सुविधाओं से युक्त है। मरीज की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। फेक कॉल से परेशानी हो रही है। इस व्यवस्था की गंभीरता को लोग समझें।

सुमित बसु, प्रोजेक्ट हेड


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