रिम्स में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा' जैसे हालात
यूरोलॉजी विभाग से चार आउटसोर्सिग की नर्से थीं, जिन्हें हटा दिया गया। अब वहां सिर्फ एक ही नर्स है।
रांची, जेएनएन। रिम्स के हालात 'अंधेर नगरी, चौपट राजा' जैसे हो गए हैं। यूं कहा जाए कि प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह फेल है। यही कारण है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए एक झटके में नर्सो की सेवा समाप्त कर दिया गया। यह बिल्कुल नहीं सोचा गया कि जिन विभागों में इनकी ड्यूटी थी, उनकी नर्सिग सेवा का क्या होगा। रिम्स प्रबंधन के इस निर्णय के बाद सुपरस्पेशियलिटी वार्ड में मौजूद विभागों की स्थिति बहुत खराब हो गई है। नर्सिग सेवा बुरी तरह प्रभावित है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
पेडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियोलॉजी और यूरोलॉजी सर्जरी की स्थिति बहुत खराब है। चिकित्सकों को इलाज करने में परेशानी हो रही है। यूरोलॉजी विभाग से चार आउटसोर्सिग की नर्से थीं, जिन्हें हटा दिया गया। अब वहां सिर्फ एक ही नर्स है। वह भी सिस्टर इंचार्ज, जिन्हें पूरी व्यवस्था देखनी पड़ रही है। सभी मरीजों को समय पर इंजेक्शन देना और दवा देना एक चुनौती है। यही हाल पेडियाट्रिक सर्जरी की है। यहां भी सरा काम एक नर्स के हवाले है। यहां बेड 24 और आइसीयू छह हैं।
ऐसी स्थिति में बच्चों को परेशानी हो रही है, जबकि रिम्स प्रबंधन की ओर से कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। खड़ा रहा मरीज चान्हो के लॉरेंस को यूरोलॉजी विभाग में ब्लाडर का साफ कराना था। लेकिन, नर्स की मौजूदगी नहीं रहने पर परेशानी का सामना करना पड़ा। यूरोलॉजी विभाग में नर्सो की कमी होने से कुछ घंटे तक पेशाब का थैला लेकर खड़ रहना पड़ा और इलाज का इंतजार करना पड़ा। यही स्थिति सिर्फ लारेंस की नहीं थी। गंभीर स्थिति में कई मरीज कार्डियोलॉजी विभाग में गंभीर स्थिति के कई मरीज भर्ती हैं। लेकिन, एक ही बार पांच आउटसोर्सिग की नर्सो को हटाने से नर्सिग सेवा प्रभावित हुई है। ईसीजी, आउटडोर और इनडोर में समस्या बढ़ गई है। 'सरकार के निर्देश पर नर्सो को हटाने का निर्णय लिया गया। फिलहाल रिम्स में अतिरिक्त नर्सो की प्रतिनियुक्ति की जाएगी। इसमें 100 एएनएम और 100 एडहॉक पर नर्स रखे जाएंगी।'
आरके श्रीवास्तव, निदेशक, रिम्स