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खरीदी 46 लाख की मशीनें, इलाज कैसे हो, किसी को पता ही नहीं

रांची : रिम्स के चर्म रोग विभाग में अत्याधुनिक 46 लाख की एनडी याग और सीओटू लेजर मशीनें खराब पड़ी हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 08:59 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 08:59 AM (IST)
खरीदी 46 लाख की मशीनें, इलाज कैसे हो, किसी को पता ही नहीं
खरीदी 46 लाख की मशीनें, इलाज कैसे हो, किसी को पता ही नहीं

रांची : रिम्स के चर्म रोग विभाग में अत्याधुनिक 46 लाख की एनडी याग और सीओटू लेजर मशीनें खरीद ली गई, लेकिन इनसे इलाज कैसे हो, किसी को ठीक से पता ही नहीं है। अनेक रोगों का इलाज करनेवाली इन मशीनों का इस्तेमाल सिर्फ दो या तीन बीमारियो के उपचार में ही हो रहा है। मुख्य रूप से इनसे गोदना मिटाने का काम ही हो पा रहा है। कारण यह है कि चिकित्सकों को मशीनों की उपयोगिता के संबंध में उचित प्रशिक्षण नहीं मिला है।

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मरीजों की सुविधा को देखते हुए चर्म रोग विभाग में अत्याधुनिक विधि से चेहरों के दाग हटाने के लिए एनडी याग लेजर और सीओटू लेजर मशीन की खरीदारी की गई। लेकिन, विभाग में जिस मकसद से इसकी खरीदारी की गई थी, उसकी उपयोगिता नहीं दिख रही है। गिने-चुने ही मरीजों का इलाज हो पा रहा है। प्रशिक्षण के अभाव में चिकित्सकों को मशीन के संचालन में परेशानी हो रही है। जिन चिकित्सकों को थोड़ी-बहुत जानकारी है, वही इन उपकरणों का संचालन कर रहे हैं।

अधिकतर डॉक्टरों को संचालन की जानकारी नहीं

रिम्स के चिकित्सकों का मानना है कि मशीन की खरीदारी तो कर ली गई, पर चिकित्सकों को इसके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं की गई। अत्याधुनिक उपकरण होने के कारण चिकित्सकों को इसके संचालन की जानकारी नहीं है। इस उपकरण की मदद से कई तरह के दाग, तिल और अन्य मर्ज को ठीक किया जा सकता है।

मायूस होकर लौट जाते हैं मरीज

विभाग में जो भी मरीज रिम्स में आते हैं, उनमें अधिकतर गोदना को हटवाने के लिए आते हैं। अन्य चेहरे में दाग, तिल, मस्सा सहित अन्य चर्म रोग संबंधी इलाज के लिए आते हैं, जबकि त्वचा संबंधी दर्जनों बीमारियां ऐसी हैं, जिनका रिम्स में उपचार नहीं हो पाता है। मरीजों को मायूस होकर लौट जाना पड़ता है। संस्थान के बाहर ही कई स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को मजबूरन मोटी राशि देकर अपना उपचार कराना पड़ता है।

कुछ ही अस्पतालों में लेजर मशीन की सुविधा

प्रदेश के कुछ ही अस्पतालों में लेजर मशीन की सुविधा है। मशीन की कीमत भी अधिक होने के कारण सभी अस्पतालों में इसकी सेवा संभव नहीं है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन का इस ओर कोई खास ध्यान नहीं है, जिस वजह अधिक से अधिक मरीज इससे जुड़ नहीं पाते हैं। यदि चिकित्सकों को मशीन संचालन का प्रशिक्षण मिल जाए, तो अधिकतर मरीजों को इसका लाभ रोजाना मिल सकेगा।

कई दिनों से प्रभावित थी सेवा

सीओटू लेजर उपकरण भी कई दिनों से प्रभावित था। कुछ महीनों के बाद इसे दुरुस्त कराया गया। इस कारण भी मरीजों को परेशानी हुई। कई मरीज लेजर से जुड़ी बीमारी का इलाज नहीं करा पाए। तिल हटाने और चेहरे की सफाई सहित अन्य मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

'इसकी जानकारी मुझे नहीं है। अगर चिकित्सकों को प्रशिक्षण नहीं मिला है, तो इसके लिए प्रबंध कराया जाएगा। साथ ही इस मसले पर विभाग के विभागाध्यक्ष से बात होगी।'

डॉ.विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स


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