पंचायतों को अधिकार, नपने लगे 'सरकार'
कोडरमा के तत्कालीन सिविल सर्जन पर चलेगी विभागीय कार्यवाही - आकस्मिक अवकाश में नहीं ली थी जिल
कोडरमा के तत्कालीन सिविल सर्जन पर चलेगी विभागीय कार्यवाही
- आकस्मिक अवकाश में नहीं ली थी जिला परिषद की अनुमति
- राज्य सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को दिया है अधिकार
- जिला परिषद के अध्यक्ष की अनुशसा पर हो रही कार्रवाई नीरज अम्बष्ठ, राची : पंचायतों को मिली शक्तियों का असर अब जाकर दिखने लगा है। राज्य सरकार ने विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे सरकारी सेवकों के लिए पंचायत प्रतिनिधियों (जिला परिषद, पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायत) से आकस्मिक अवकाश लेना अनिवार्य किया है। अभी तक इसका सख्ती से अनुपालन नहीं हो रहा था।
अब स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे एक मामले में कोडरमा के तत्कालीन सिविल सर्जन डा. बीपी चौरसिया के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही चलाई जाएगी। बताया जाता है कि विभाग में इस तरह की पहली कार्रवाई है।
दरअसल, तत्कालीन सिविल सर्जन जनवरी माह में योगदान देकर जिला परिषद अध्यक्ष शालिनी गुप्ता की अनुमति के बिना ही अवकाश पर चले गए थे। निरीक्षण के क्त्रम में यह मामला सामने आने पर जिला परिषद अध्यक्ष ने पंचायती राज विभाग से इसकी शिकायत करते हुए आवश्यक कार्रवाई की अनुशसा की।
पंचायत राज विभाग की अनुशसा पर स्वास्थ्य विभाग ने तत्कालीन सिविल सर्जन से इसपर स्पष्टीकरण मागा। इसपर तत्कालीन सिविल सर्जन ने स्वीकार किया कि वे जिला परिषद अध्यक्ष के बजाए क्षेत्रीय उपनिदेशक को आवेदन देकर अवकाश पर गए थे। स्वास्थ्य विभाग ने इसे संबंधित प्रावधानों के विरुद्ध मानते हुए कार्रवाई का निर्णय लिया। नहीं हो रहा सख्ती से अनुपालन
सरकारी सेवकों का पंचायत प्रतिनिधियों से आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति लेने के प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन नहीं हो रहा है। कोडरमा के तत्कालीन सिविल सर्जन के विरुद़ध शिकायत करनेवाली जिला परिषद अध्यक्ष शालिनी गुप्ता का कहना है कि वर्तमान सिविल सर्जन डा. योगेंद्र महतो भी उनसे अवकाश की स्वीकृति नहीं ले रहे हैं। वहीं, रामगढ़ के जिला परिषद अध्यक्ष ब्रह्मदेव महतो का कहना है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर उनसे आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति तो लेते हैं लेकिन सिविल सर्जन नहीं लेते।
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क्या है अवकाश का प्रावधान
- सिविल सर्जन जिला परिषद के अध्यक्ष से आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति लेंगे।
- जिला स्तर के अन्य चिकित्सक सिविल सर्जन से अवकाश की स्वीकृति लेंगे। लेकिन उनके अवकाश का संधारण जिला परिषद कार्यालय में होगा।
- पीएचसी व सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पंचायत समिति के प्रमुख से अवकाश की स्वीकृति लेंगे। जबकि अन्य चिकित्सक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से स्वीकृति लेंगे। इनकेअवकाश का संधारण पंचायत समिति कार्यालय में होगा।
- ग्राम पंचायत स्तर पर नियुक्त एएनएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी मुखिया से अवकाश की स्वीकृति लेंगे। नोट : इसी तरह के प्रावधान सभी विभागों में लागू हैं।
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कोट
सरकार ने पंचायतों को संविधान प्रदत्त अधिकार सौंप दिए हैं। इस क्रम में कई विभागों की शक्तिया पंचायतों में समाहित की गई हैं। इसमें अवकाश लेने की शक्ति भी शामिल है। इसका अनुपालन संबंधित विभागों का दायित्व है।
नीलकंठ सिंह मुंडा, मंत्री, ग्रामीण विकास (पंचायती राज) विभाग।
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