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झारखंड में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ गरमाई सियासत

झारखंड भाजपा ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए उन्हें विकास विरोधी बताया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 11:05 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:52 AM (IST)
झारखंड में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ गरमाई सियासत
झारखंड में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ गरमाई सियासत

राज्य ब्यूरो, रांची। भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद झारखंड की राजनीति में उबाल आ गया है। तमाम विपक्षी दलों ने अपने-अपने स्तर पर मोर्चा खोल दिया है। सत्ता पक्ष भी संशोधन बिल को जायज ठहराते हुए अपना तर्क रख रहा है। वैसे इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में सभी विपक्षी दल एक ही मंच पर दिखें। बहरहाल, कल 18 जून को झारखंड बंद का आह्वान किया गया है। आदिवासी सेंगेल अभियान ने इसके खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है।

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सरकार बिल के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करेः हेमंत सोरेन

सोमवार को ही झारखंड मुक्ति मोर्चा इस मुद्दे पर बैठक कर आगे की रणनीति बनाएगा। झामुमो ने इस मुद्दे पर सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार बिल के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करे। यह राज्य के लिए ज्वलंत मुद्दा है, उनकी पार्टी सहित पूरे विपक्ष ने इसके खिलाफ आंदोलन किया है। गुरुजी के नेतृत्व में विपक्षी दल राष्ट्रपति से मिले और इस पर सहमति नहीं देने की गुहार लगाई थी।

सरकार को इस बिल को बिना शर्त उसी तरह से वापस लेना चाहिए। हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर सरकार 24 घंटे के अंदर इस बिल पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो 18 जून को उनके आवास पर सभी विपक्षी पार्टियों व सामाजिक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जहां पर इस बिल के खिलाफ आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। चेतावनी भरे लहजे में कहा बिल के विरोध में होने वाले आंदोलन के क्रम में घटने वाली घटनाओं के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी।

जनता को बरगला रहा है विपक्ष: भाजपा

प्रदेश भाजपा ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए उन्हें विकास विरोधी बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर जनता को बरगला रहा है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन कॉरपोरेट नहीं, बल्कि स्कूल-अस्पताल जैसी सरकारी योजनाओं पर लागू होगा। प्रभाकर ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून के मुआवजे और पुनर्वास के मूल प्रावधान में कोई बदलाव नहीं किया है।

नए प्रस्ताव से ग्राम सभा की सलाह लेते हुए एक समय सीमा में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण तथा चार गुना मुआवजा प्रदान करने का कार्य संभव हो पाएगा। प्रभाकर ने विपक्षी दलों से सवाल किया है कि क्या वह चाहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों और पिछड़े वर्गो के लिए चलाई जा रही सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया जाए? इस प्रावधान से उद्योगपतियों को नहीं, बल्कि गरीब आदिवासी-मूलवासी को फायदा होगा।

बिल की मंजूरी से विकास को बल: अमर बाउरी

राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री अमर कुमार बाउरी ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक की राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर हर्ष जताया है। उन्होंने कहा है कि इस विधेयक की स्वीकृति से न सिर्फ झारखंड में विकास को बल मिलेगा, बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। कहा, आज सारा देश झारखंड को विकास की राह पर लाने के लिए प्रयासरत है। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन का राज्य सरकार का यह निर्णय आने वाले समय में काफी लाभकारी साबित होगा।

विधेयक के पक्ष में सरकार के तर्क

-सरकारी योजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण जल्द (छह माह में) हो सकेगा।

-योजनाएं तेजी आएगी। वर्तमान में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरा होने में दो से तीन साल का वक्त लग जा रहा है।

-रैयतों को भूमि के एवज में मुआवजे का भुगतान अधिकतम आठ माह में हो सकेगा।

-सरकारी योजनाओं के लिए भू-अर्जन में सामाजिक प्रभावों के आकलन को समाप्त कर ग्रामसभा या स्थानीय प्राधिकार का परामर्श प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है।

-निजी उपयोग अथवा उद्योग के लिए जमीन लेने पर इस संशोधन का लाभ नहीं मिलेगा।

विधेयक पर विपक्ष की आपत्ति

-सरकार गरीबों और किसानों की जमीन लेकर आसानी से बड़े उद्योगपतियों को दे देगी।

-बिल को लेकर अभी तक अस्पष्ट स्थिति है। सरकार 24 घंटे में पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करे।

-बिल से राज्य में भू-माफिया को मिलेगा संरक्षण। यह कारपोरेट घरानों का हित साधने वाला है।

-इस बिल के बाद आम लोगों के पास जमीन बचाने के लिए कोई उपाय नहीं बचेगा।

-जब सीएम सीएनटी, एसपीटी एक्ट में संशोधन नहीं करा पाए तो उन्होंने आंखों में धूल झोंककर कारपोरेट को जमीन देने के लिए यह तरीका अपनाया।

इनके लिए अधिगृहीत होगी भूमि

भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के बाद सिर्फ स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, रेल, सड़क, जलमार्ग, विद्युतीकरण, सिंचाई, जलापूर्ति पाइपलाइन, ट्रांसमिशन लाइन तथा कमजोर वर्ग के आवास के लिए भूमि का अधिग्रहण होगा।


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