कैसे बुझेगी प्यास, जब हजारों लीटर पानी सड़क पर
राजधानी में जहां एक ओर लोगों को प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं मिल रहा, वहीं दूसरी ओर वाटर सप्लाई पाइप में लीकेज होने के कारण हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा। पाइप लीकेज की समस्या रोकने में पेय जल विभाग खुद को असमर्थ पा रहा है। पाइप लाइन बीस साल से अधिक पुरानी हो चुकी हैं।
रांची : राजधानी में जहां एक ओर लोगों को पीने के लिए पानी मयस्सर नहीं है, तो दूसरी ओर अव्यवस्था के कारण प्रतिदिन हजारों लीटर पानी सड़क पर बह रहा है, जो किसी के काम नहीं आ रहा है। शहर के कई क्षेत्रों में पाइप लीकेज की समस्या है। हर महीने कुछ लीकेज बंद किए जाते हैं, तो उतनी ही संख्या में नए लीकेज तैयार हो जाते हैं। पेयजल विभाग को लीकेज के द्वारा पानी की बर्बादी रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
20 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं सप्लाई पाइप
शहर के सप्लाई पाइप 20 वर्ष से भी पुराने हैं। राज्य के स्थापना के बाद ये कभी नहीं बदले गए। इतने सालों में जंग व अन्य कारणों से पाइप कमजोर हो चुके हैं। यही कारण है कि छोटे बड़े सभी प्रकार के पाइप में लीकेज की समस्या आ रही है। पाइप फटना और वॉल्व खराब होना आम है। हर रोज बर्बाद होता है हजारों लीटर पानी -
शहर में जहां जहां पाइप में लीकेज है वहां से पूरे दिन पानी बहता रहता है। एक लीकेज से यदि हर मिनट 10 लीटर पानी भी बह रहा है, तो एक घंटे में 600 लीटर और दिन भर में करीब 14 हजार लीटर पानी बह जाता है। शहर में ऐसे दर्जनों लीकेज हैं जहां से दिन भर पानी बहता रहता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर रोज कितना पानी बर्बाद हो रहा है, जिससे कितने लोगों की प्यास बुझ सकती है। ये हैं शहर के नए लीकेज -
- रांची पटना हाइवे में मेसरा वेस्ट क्षेत्र में रुक्का डैम से आ रही पाइप की लीकेज।
- नामकुम सपही पुल के पास मुख्य सप्लाई पाइप में लीकेज।
- जुमार पुल के पास सप्लाई पाइप में लीकेज।