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भाजपा के लिए संभलने का एक मौका

रांची : आजसू पार्टी चुनाव न लड़ती तो भाजपा की गोमिया में जीत निश्चित थी..। झामुमो जीता जरूर लेकिन उसकी जीत का अंतर कम हुआ.. जैसे तमाम तर्क भाजपा द्वारा गढ़े जा रहे हैं। हारने वाली पार्टियां का ऐसे तर्क गढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन इस सच को भाजपा को स्वीकारना होगा कि गोमिया में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई। माधव लाल को पिछले विधानसभा चुनाव से 18,219 हजार वोट कम मिले। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 60,251 मत मिले थे, इस बार आंकड़ा घटकर 42,037 रह गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 10:40 PM (IST)
भाजपा के लिए संभलने का एक मौका
भाजपा के लिए संभलने का एक मौका

आनंद मिश्र, रांची : आजसू पार्टी चुनाव न लड़ती तो भाजपा की गोमिया में जीत निश्चित थी..। झामुमो जीता जरूर लेकिन उसकी जीत का अंतर कम हुआ.. जैसे तमाम तर्क भाजपा द्वारा गढ़े जा रहे हैं। हारने वाली पार्टियां का ऐसे तर्क गढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन इस सच को भाजपा को स्वीकारना होगा कि गोमिया में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई। माधव लाल को पिछले विधानसभा चुनाव से 18,219 हजार वोट कम मिले। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 60,251 मत मिले थे, इस बार आंकड़ा घटकर 42,037 रह गया।

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गोमिया में भाजपा का मत 10 प्रतिशत तक गिरा। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को यहां 34.06 प्रतिशत मत मिले थे। इस चुनाव में यह 24.16 प्रतिशत पर ही रुक गया। यह बड़ी गिरावट है। मिशन 2019 के लिए झारखंड में लोकसभा की सभी 14 और विधानसभा में 60 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पचास फीसद की लड़ाई की बात कही है। लेकिन उपचुनावों में एक चौथाई वोट भी नहीं मिले। जाहिर है, शाह की कसौटी पर प्रदेश भाजपा खरी नहीं उतरी। भाजपा इसका ठीकरा आजसू पर फोड़ खीज तो मिटा सकती है लेकिन हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकती। विपक्षी एकता 2019 में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।

भाजपा ने यह चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा था। हाल ही में हुए शहरी निकाय के चुनाव में भी भाजपा का यही मुद्दा था लेकिन नतीजे इतर रहे। निकाय चुनाव में 70 फीसद परिणाम देने वाली पार्टी उपचुनावों में पिछला परिणाम भी नहीं दोहरा सकी। वह भी उस स्थिति में जब मुख्यमंत्री से लेकर मुखिया तक पूरी टीम गोमिया में पिछले एक पखवारे सक्रिय रही। जाहिर है भाजपा को अपनी बूथ संरचना को एक बार नए सिरे से दुरुस्त करना होगा। सिर्फ पन्ना प्रमुख बनाने से काम नहीं चलेगा, जमीनी हकीकत भी समझनी होगी।

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पिछले चार सालों में छह उपचुनाव, सिर्फ एक पर जीता एनडीए

2014 के विधानसभा चुनावों के बाद झारखंड में छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पर एनडीए जीत दर्ज कराने में सफल रहा है। लोहरदगा के पहले उपचुनाव में कांग्रेस के सुखदेव भगत ने आजसू से सीट छीनी। 2016 में हुए पांकी और गोड्डा उपचुनाव में एक सीट कांग्रेस तो एक भाजपा के खाते में गई। पांकी से कांग्रेस के देवेंद्र कुमार सिंह ने जीत हासिल की तो गोड्डा से भाजपा के अमित कुमार मंडल विजयी हुए। पिछले वर्ष लिट्टीपाड़ा के उपचुनाव के नतीजे भी भाजपा के पक्ष में नहीं रहे। यहां झामुमो के साइमन मरांडी ने भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू को पराजित किया। अब गोमिया और सिल्ली उपचुनाव में भी भाजपा और उसकी सहयोगी आजसू को हार का सामना करना पड़ा।

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