बढ़ा हेमंत का कद, विपक्षी एकता को बल
रांची : सिल्ली और गोमिया विधानसभा उपचुनाव का परिणाम कई मायने में अहम है। इससे उपचुनाव के ऐन पहले अस्तित्व में आया विपक्षी गठबंधन जहां मजबूत हुआ है वहीं इस धड़े की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कद बढ़ा है। परिणाम से यह भी स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा से टक्कर लेने के लिए विपक्षी धड़ा एकजुट रहने की हरसंभव कोशिश करेगा। हालांकि अभी यह दूर की कौड़ी है क्योंकि कई सीटों पर तालमेल में जिच भी होगी। इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। लेकिन भाजपा को पीछे धकेलने के लिए गठबंधन कर चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प इनके पास नहीं है।
प्रदीप सिंह, रांची : सिल्ली और गोमिया विधानसभा उपचुनाव का परिणाम कई मायने में अहम है। इससे उपचुनाव के ऐन पहले अस्तित्व में आया विपक्षी गठबंधन जहां मजबूत हुआ है वहीं इस धड़े की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कद बढ़ा है। परिणाम से यह भी स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा से टक्कर लेने के लिए विपक्षी धड़ा एकजुट रहने की हरसंभव कोशिश करेगा। हालांकि अभी यह दूर की कौड़ी है क्योंकि कई सीटों पर तालमेल में जिच भी होगी। इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। लेकिन भाजपा को पीछे धकेलने के लिए गठबंधन कर चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प इनके पास नहीं है। उपचुनाव के परिणाम से गठबंधन के फार्मूले को बल मिलेगा। हेमंत सोरेन ने सफलतापूर्वक भाजपा विरोधी तमाम दलों को उपचुनाव के पूर्व एक मंच पर लाने में कामयाबी पाई। वे तमाम नेताओं से मिले। वामदलों के दफ्तरों के चक्कर लगाए। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी विश्वास में लेने में सफलता पाई। चुनाव के दौरान रणनीति बनाने से लेकर चुनाव प्रचार में सक्रिय रहे। गोमिया और सिल्ली में पूरा वक्त दिया। दोनों स्थानों पर संघर्ष कांटे का था लेकिन सीटें बरकरार रख हेमंत सोरेन ने यह संदेश दिया कि वे मुश्किल परिस्थिति में भी जूझने का माद्दा रखते हैं। यही वजह है कि अपने कब्जे वाली तीन सीटों पर उपचुनाव होने के बावजूद उन्होंने हार का मुंह नहीं देखा और विधानसभा में पार्टी के सीटों की संख्या नहीं घटने दी। उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी सीटें बरकरार रखने में सफलता पाई। इससे पूर्व राज्यसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस प्रत्याशी धीरज प्रसाद साहू के पक्ष में हेमंत सोरेन ने तगड़ी लामबंदी की थी। राज्यसभा चुनाव में विधायकों की ज्यादा संख्या रहने के बावजूद उन्होंने भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन का फैसला लिया था। कांग्रेस ने हेमंत सोरेन को अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की घोषणा कर रखी है।
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