राजधानी के ट्रैफिक सिग्नल पड़े हैं ठप
रांची : रांची से राजमार्गो को जोड़ने वाले हाइवे पर कहीं ट्रैफिक सिग्नल नजर नहीं आता है। ये
रांची : रांची से राजमार्गो को जोड़ने वाले हाइवे पर कहीं ट्रैफिक सिग्नल नजर नहीं आता है। ये शहर में तो लगे हैं, लेकिन अधिकांश ठप पड़े हैं। कई सिग्नल तो एक साथ चार रास्तों के लिए खुलते हैं। कई चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी हाथ से ट्रैफिक सिस्टम हांकते हैं। रात के समय हैंड हेल्ड सिग्नल लाइट का इस्तेमाल होता है। शहर में लगे 21 में से 11 ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े हैं। इनमें रेडियम चौक, सुजाता चौक, रतन टाकीज चौक, किशोरगंज, हरमू चौक, काटाटोली चौक, सर्जना चौक, लालपुर चौक, बिरसा चौक, कचहरी चौक और सिरमटोली चौक शामिल हैं। इनमें कई एक साथ चार रास्तों के लिए खुलते हैं, तो कई बंद पड़े हैं। इधर हाइवे पर लगे साइन बोर्ड की सूचना भी दिखाई नहीं देती। कई जगहों पर साइन बोर्ड नाले में गिरे पड़े हैं, तो कहीं तोड़ दिए गए हैं।
------------
ऐसे काम करता है शहर का ट्रैफिक सिग्नल :
लालपुर चौक :
-यहां का ट्रैफिक सिग्नल एक साथ चार रास्तों के लिए खुलता है। कोकर से लालपुर चौक पहुंचे लोगों के लिए एक साथ प्लाजा रोड, सरकुलर रोड और डंगराटोली जाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है। इसी तरह सरकुलर रोड की ओर से आने पर प्लाजा रोड, कोकर रोड और डंगरा टोली के रास्ते जाने के लिए खुलता है। यहां हर घड़ी लोग रिस्क में सड़क पार करते हैं। जेल चौक :
-यहां का ट्रैफिक सिग्नल एक साथ तीन रास्तों के लिए खुलता है। सरकुलर रोड की ओर से जाने पर करमटोली रोड, लाइन टैंक रोड और कचहरी चौक जाने के लिए एक साथ खुलता है। इसी तरह कचहरी चौक की ओर से आने पर करमटोली रोड, लाइन टैंक रोड और सरकुलर रोड के लिए एक साथ खुलता है। सिरमटोली चौक :
-यहां ट्रैफिक सिग्नल एक साथ तीन रास्तों के लिए खुलता है। लोअर बाजार से जाने पर क्लब रोड, पटेल चौक और रेलवे स्टेशन जाने के लिए खुलता है। इसी तरह क्लब रोड की ओर से आने पर बहु बाजार, पटेल चौक और रेलवे स्टेशन रोड की ओर जाने के लिए खुलता है। सुजाता चौक :
-यहां ट्रैफिक सिग्नल मेन रोड से डोरंडा जाने के दौरान सुजाता चौक पर क्लब रोड, पीपी कंपाउंड और ओवर ब्रिज की ओर जाने के लिए एक साथ खुलता है। इसी तरह ओवरब्रिज से मेन रोड आने के दौरान क्लब रोड, पीपी कंपाउंड की ओर जा सकते हैं। इस बीच पीपी कंपाउंड के लिए मेन रोड की ओर से आने वाले वाहनों के लिए भी खुला रहता है। शहर में मिट गए जेब्रा क्रासिंग :
शहर में जेब्रा क्रासिंग मिट चुकी है। जहां दिख रही, वहां गलत ढंग से बनी हैं। ऐसे में किसी भी चौक या पोस्ट पर रुकने की बजाय लोग आगे बढ़ जाते हैं, जो जाम और दुर्घटना दोनों के कारण बनते हैं। ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह कहते हैं कि इसमें सुधार के लिए पथ निर्माण विभाग को लिखा गया है। जेब्रा क्रासिंग का नहीं है कोई मतलब :
शहर में लगे जेब्रा क्रासिंग का कोई मतलब नहीं है। इन्हें गलत जगहों पर बनाया गया है। शहर के अलबर्ट एक्का चौक पर जेब्रा क्रासिंग नहीं है। सर्जना चौक पर पोस्ट के करीब क्रासिंग बनाई गई है। सुजाता चौक पर क्रासिंग मिट चुकी है। कांटाटोली चौक की भी यही स्थिति है। लालपुर चौक की जेब्रा क्रासिंग आड़ी-तिरछी है और अधिकांश जगहों पर मिटी हुई है।
----------------
सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले रास्ते :
- रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग : यहां पहले तीखे मोड़ थे, लेकिन वर्तमान में सड़क निर्माणाधीन है, जिससे उबड़-खाबड़ रास्ते तो हैं हीं, जहां-तहां स्पीड पर नियंत्रण खोने से अचानक हादसे हो जाते हैं।
- रांची ¨रग रोड : राजधानी से सटे ¨रग रोड पर गति अवरोधक के बावजूद सड़क अच्छी होने के कारण वाहनों की स्पीड अत्यधिक होती है, जो दुर्घटना का कारण बनती है।
- रांची-खूंटी मार्ग : सड़क संकरी है। वन लेन होना है। वाहनों की अत्यधिक स्पीड के कारण पहाड़ी क्षेत्र की इस सड़क पर वाहन पर से नियंत्रण खो जाता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।
- रांची-गुमला मार्ग व रांची डालटनगंज : रांची से गुमला और रांची से डालटनगंज मार्ग भी वन लेन है। बीच में डिवाइडर भी नहीं और सड़क भी संकरी है। ऐसे में वाहनों के लिए स्पीड लिमिट संकेतक का नहीं होना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है।
- कांटाटोली से ओरमांझी : वन लेन, पतली सड़क और जहां-तहां गडढे यहां दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण हैं।
- रांची-पुरुलिया मार्ग : सड़क पतली है और तीखे मोड़ पर स्पीड बन जाती है दुर्घटना का कारण।
-रांची-लोहरदगा रोड : इस रोड में रातू के बाद मांडर, चान्हो व बीजूपाड़ा तक कई ब्लैक स्पॉट हैं। जहां सड़क हादसे हो रहे हैं।
-रांची-रामगढ़ रोड : ओरमांझी से आगे बढ़ने पर चुटूपालू घाटी में तीखे मोड़ की वजह से लगातार हादसे होते हैं।
-रांची-पतरातू रोड : कांके चौक के बाद असुरक्षित कट और टर्निग। इसके बाद पिठोरिया से नीचे उतरने पर भयंकर घाटी मिलती है।
-------------