झारखंड में नए डिग्री कॉलेजों के खुलने का रास्ता साफ
कॉलेजों को शुरू में अस्थायी संबद्धता मिलेगी, जिसे तीन वर्ष तक विस्तार भी मिल सकता है। इस अवधि में निर्धारित सभी शर्तें पूरी करने के बाद उसे स्थायी संबद्धता मिलेगी।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। राज्य में विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित डिग्री कॉलेजों से भिन्न कॉलेजों की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने ऐसे कॉलेजों की मान्यता (संबद्धता) देने व मान्यता समाप्त करने से संबंधित परिनियम (स्टैट्यूट) पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। इसी के साथ उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग ने इसे अधिसूचित कर दिया। इस परिनियम में विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित कॉलेजों से भिन्न कॉलेजों को मान्यता देने को लेकर शर्तें और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं।
राज्य सरकार, गवर्निग बॉडी या मैनेजिंग कमेटी द्वारा संचालित होने वाले ऐसे कॉलेजों की संबद्धता के लिए आवेदन राज्य सरकार द्वारा अधिकृत पदाधिकारी द्वारा संबंधित विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को भेजा जाएगा। इस पर सीनेट के दो सदस्यों का हस्ताक्षर भी अनिवार्य होगा। ऐसे आवेदन उस शैक्षणिक सत्र में 15 सितंबर से पहले जमा होंगे, जिनके लिए संबद्धता की मांग की जाएगी। ऐसे कॉलेजों के पास यूजीसी द्वारा निर्धारित आवश्यक जमीन होनी चाहिए। परिनियम के अनुसार प्रशासकीय तथा शैक्षणिक भवन के अलावा प्रति छात्र 1.4 वर्ग मीटर की दर से लेक्चरर, सेमिनार रूम व लाइब्रेरी तथा 1.85 वर्ग मीटर की दर से लेबोरेट्री की जमीन होनी चाहिए। कॉलेजों को आवेदन के साथ संबंधित जमीन के वर्गीकरण से संबंधित उपायुक्त का प्रमाणपत्र देना होगा।
अवहेलना पर कॉलेजों की संबद्धता खत्म होगी
कॉलेजों को शुरू में अस्थायी संबद्धता मिलेगी, जिसे तीन वर्ष तक विस्तार भी मिल सकता है। इस अवधि में निर्धारित सभी शर्तें पूरी करने के बाद उसे स्थायी संबद्धता मिलेगी। संबद्धता प्राप्त ऐसे कॉलेजों को इवनिंग क्लासेज चलाने की भी स्वतंत्रता होगी। परिनियम में शर्तें पूरी नहीं करनेवाले तथा राज्य सरकार के निर्देशों की अवहेलना करने वाले कॉलेजों की संबद्धता खत्म करने के भी प्रावधान किए गए हैं।
नहीं होगी इंटरमीडिएट की पढ़ाई
ऐसे डिग्री कॉलेजों को संबद्धता के आवेदन के साथ यह अंडरटेकिंग भी देनी होगी कि वे किसी भी हाल में इंटरमीडिएट की कक्षाएं संचालित नहीं करेंगे। डिग्री से इंटरमीडिएट को अलग करने के प्रयास में यह शर्त परिनियम में शामिल किया गया है। कॉलेज यह अंडरटेकिंग भी देंगे कि उनके यहां नामांकन पात्रता परीक्षा (12वीं या जो भी हो) के अंकों के आधार पर मेरिट के अनुसार लेंगे। नामांकन में आरक्षण नीति का भी अनुपालन करना होगा।
एक लाख छात्रों पर महज आठ कॉलेज उपलब्ध
कॉलेज सघनता में झारखंड विभिन्न राज्यों में नीचे से दूसरे नंबर पर है। यहां एक लाख छात्रों (18-23 आयु वर्ग) पर महज आठ कॉलेज हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इतने छात्र-छात्राओं के लिए 28 कॉलेज उपलब्ध हैं। झारखंड में ग्रास इनरालमेंट रेशियो दो सालों में 15.5 फीसद से बढ़कर 17.7 हुआ है, लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है। इस परिनियम के लागू होने से राज्य में नए डिग्री कॉलेज खुल सकेंगे, जिससे ग्रास इनरालमेंट रेशियो भी बढ़ेगा।