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बीएयू के हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ निकाला विज्ञापन, फूटा गुस्सा

लगातार 12 दिनों से शिक्षकेतर कर्मचारियों की चली आ रही हड़ताल से परेशान होकर बीएयू प्रशासन ने एक समाचार पत्र में विज्ञापन निकाला है, जिसमें कहा गया कि सभी कर्मचारी 17 मई से काम पर लौंटे, अन्यथा उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन के इस कृत्य पर कर्मचारियों ने आक्रोश जताया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 07:41 AM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 07:41 AM (IST)
बीएयू के हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ निकाला विज्ञापन, फूटा गुस्सा
बीएयू के हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ निकाला विज्ञापन, फूटा गुस्सा

रांची : हड़ताली शिक्षकेतर कर्मचारियों के खिलाफ बीएयू प्रशासन ने चेतावनी भरा विज्ञापन एक दैनिक अखबार में प्रकाशन करवाया है। इसमें सर्विस ब्रेक की भी चेतावनी दी गई है। इस प्रकाशन के बाद कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा है। कर्मचारी उग्र आंदोलन का मूड बना रहे हैं। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अबू सईद ने कहा है कि पांच सूत्री मांगों को लेकर बीते 26 फरवरी 2018 और 28 अप्रैल 2018 को विधिवत पत्र देने के बाद चार मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की गई है। इसके बावजूद बीएयू कुलपति ने गलत ढंग से कर्मचारियों के खिलाफ विज्ञापन का प्रकाशित करवाया है, जो किअशोभनीय है। चूंकि हड़ताली कर्मचारी हर दिन कुलपति से मिल रहे हैं। कई बार वार्ता हो चुकी है। गेट पर ही धरने की शक्ल में बैठे हैं। इसके बावजूद कर्मचारियों के लिए कर्तव्य स्थल से अनुपस्थित रहने की बात कह विज्ञापन निकालकर चेतावनी दी गई है। कर्मचारियों ने फिर स्पष्ट किया है कि मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल जारी रहेगी। कुलपति को अनावश्यक कार्य करने के बजाए उनकी मांगों को पूरी करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। मंगलवार को 12वें दिन भी कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। क्या है विज्ञापन में :

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकेत्तर कर्मचारी जो कि दिनांक चार मई 2018 से अपने कर्तव्य स्थल से अनुपस्थित हैं, उनसे अनुरोध है कि वे दिनांक 17 मई 2018 को 10:30 बजे तक अपने कर्तव्य स्थल पर उपस्थिति दर्ज कराएं। ऐसा न करने की स्थिति में उनके विरुद्ध कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने के कारण कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। जिसमें सेवा में टूट (ब्रेक इन सर्विस) भी शामिल है।

कर्मचारियों की मागें :

-सातवा वेतनमान एक जनवरी 2016 से लागू किया जाए।

-तृतीय/चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को प्रोन्नति और एमएसीपी दी जाए।

-उच्चवर्गीय लेखा लिपिक के वेतनमान में संशोधन का 4500 से 7000 किया जाए।

-एकेडमिक काउंसिल के निर्णय के आलोक में सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की जाए।

-सीनेट सदस्य/प्रबंधन समिति में कर्मचारियों को संकायों के आधार पर सदस्य मनोनीत किया जाए और शीघ्र चुनाव कराया जाए।


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