टाटा ने झारखंड सरकार को लगाई 1726 करोड़ की चपत
समिति ने टाटा से 17 अरब, 26 करोड़, 50 लाख 24 हजार 770 रुपये पांच पैसे अविलंब वसूलने की अनुशंसा की है।
राज्य ब्यूरो, रांची। टाटा ने लीज की जमीन का सबलीज कर न सिर्फ लीज की शर्तों का उल्लंघन किया है, बल्कि राजस्व मद में सरकार को अरबों रुपये का चूना लगाया है। झारखंड विधानसभा की लोकसभा समिति ने इससे संबंधित रिपोर्ट शनिवार को सदन को सौंप दी है। समिति ने इस मद में टाटा से 17 अरब, 26 करोड़, 50 लाख 24 हजार 770 रुपये पांच पैसे (लगभग 1726 करोड़) अविलंब वसूलने की अनुशंसा की है।
अपनी रिपोर्ट में समिति ने साफ कहा है कि टाटा ने जहां 59 सबलीज के मामले में कई स्तरों पर अनियमितता बरती है, वहीं सरकार के स्तर से भी राजस्व की वसूली की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रो. स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता और विधायक राधाकृष्ण किशोर, सुखदेव भगत, विमला प्रधान और कुणाल षाड़ंगी की सदस्यता वाली इस समिति ने अपनी अनुशंसा में सभी 59 सबलेसी से संपूर्ण भूमि को लीज क्षेत्र से बाहर निकालने और राजस्वहित में खुली एवं पारदर्शी तरीके से नीलामी की प्रक्रिया अपनाते हुए उसकी फिर से बंदोबस्ती करने को कहा है। साथ ही जिन शर्तो पर राज्य सरकार द्वारा टाटा को भूमि उपलब्ध कराई गई है, उसका अनुपालन हो रहा है अथवा नहीं, हर वर्ष उसकी समीक्षा करने को कहा है।
समिति ने प्रमंडलीय आयुक्त, कोल्हान की अध्यक्षता वाली जांच समिति के हवाले से कहा है कि टिस्को एवं भूधारकों ने ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट 1882 के मानकों का कभी अनुपालन नहीं किया। इस तरह 59 सबलीज को कभी अस्तित्व में आना नहीं माना जा सकता है। और न ही इसे किसी रूप में जीवित ही कहा जा सकता है।
फ्लैश बैक
- 19 अगस्त 2005 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुरूप एक जनवरी 1996 के प्रभाव से अगले 30 वर्षो के लिए टाटा लीज नवीकरण से संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिली।
- अविभाजित बिहार में टाटा को सबलीज इस उद्देश्य के साथ दी गई थी कि एक अच्छी औद्योगिक नगरी की स्थापना हो और लोगों को मूलभूत नगरीय सुविधाएं मिल सकें।
- राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 17 सितंबर 2012 को सबलीज बंदोबस्त की प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
- 21 फरवरी, 2015 को प्रमंडलीय आयुक्त, कोल्हान की अध्यक्षता में जांच समिति गठित हुई थी। समिति ने अपने निष्कर्ष में 59 सबलीज मामले में राजस्व वसूली के क्षेत्र में सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जाने की बात कही।
- सरकार के आदेश के अनुरूप तीन महीने के अंदर न तो भूमिधारकों के साथ करार किया गया, न हीं टिस्को द्वारा निबंधित सबलीज का एकरारनामा किया गया।
- टिस्को द्वारा निबंधन अधिनियम 1908 इंडियन स्टांप एक्ट 1899 के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया।
- टिस्को ने पग-पग पर बरती अनियमितता
- टिस्को द्वारा निर्धारित वार्षिक लगान में से पांच फीसद कलेक्शन चार्ज लिया गया, जो उचित नहीं था।
- हाउसिंग सुविधा के लिए 1418.98 एकड़ भूमि के विरुद्ध 1686.89 एकड़ भूमि का लीज किया गया।
- करार के मुताबिक बीपीएल परिवारों के लिए चिकित्सा बीमा योजना के तहत प्रति वर्ष 25 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में देना था। चिकित्सा बीमा मद में टिस्को ने नौ वर्षो की राशि 225 करोड़ रुपये नहीं दिए।
- टिस्को ने बिना राज्य सरकार की अनुमति के भूमि का हस्तांतरण थर्ड पार्टी को किया।
समिति ने सरकार के रवैये पर भी खड़े किए सवाल
टाटा सबलीज मामले में समिति ने सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं। समिति की रिपोर्ट के अनुसार उच्च न्यायालय में टिस्को की ओर से जितने भी वाद दायर किए गए, उसके विरुद्ध सरकार अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रख सकी। इसी तरह महाधिवक्ता द्वारा प्रति शपथपत्र में सुझाए गए तीन पाराग्राफ को उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम द्वारा शामिल नहीं किया गया। इस तरह कहा जा सकता है कि सरकार ने कभी भी किसी भी स्तर पर अपने दायित्वों का निवर्हन नहीं किया।