चारा घोटाले के फैसले को लेकर रांची में जबर्दस्त गहमागहमी
सारे होटल व गेस्ट हाउस फुल, अप्रिय स्थिति से निपटने को चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात ।
रांची, जागरण संवाददाता। चारा घोटाले में देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में फैसले के मद्देनजर शुक्रवार शाम से ही रांची में जबर्दस्त गहमागहमी है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादवअपने पुत्र तेजस्वी यादव के साथ और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र अपने पुत्र नीतीश मिश्र के साथ कल शाम को ही रांची पहुंच गए हैं। लालू के साथ आधा दर्जन विधायक सहित बड़ी संख्या में समर्थक भी आए हुए हैं। परिणामस्वरूप शहर के तमाम गेस्टहाउस और होटल फिलहाल कोई जगह नहीं है। लालू के समर्थकों की भारी भीड़ को देखते हुए किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने केलिए पुलिस और प्रशासन मुस्तैद है।
पटना में बृहस्पतिवार को राजद कार्यकतार्ओं के उग्र प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन ने सीबीआइ कोर्ट के पास कल ही सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर बनाए गए हनुमान मंदिर को हटाने के नाम पर समाहरणालय परिसर में 300 अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया है। शहर में जगह-जगह विभिन्न स्थानीय कारणों का हवाला देकर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है जिन्हें किसी भी उपद्रव से निपटने के लिए हर तरह से सख्त कदम उठाने निर्देश दिए गए हैं। कारण कुछ भी हो कुल मिलाकर पुलिस शहर के चप्पे-चप्पे में तैनात है। मुख्य मार्गों पर रात से ही सघन चेकिंग अभियान चल रहा है। संदेश साफ है कि उपद्रव करने वालों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और न कोई छूट दी जाएगी।
घोटाले के आरोपी दोनों पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र पत्रकारों से बातचीत में न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा जताते हुए खुद के बेदाग बच निकलने का दावा करते हैं लेकिन उनके हावभाव और अंदरखाने से मिल रही सूचना के अनुसार दोनों आशंकित हैं। हालांकि उनके पुत्र और समर्थकों में कोई आशंका नजर नहीं आ रही है। उनका रुख काफी आक्रामक और आत्मविश्वास से भरा दिख रहा है।
उन्होंने शुक्रवार रात से लेकर शनिवार दिन तक के समय का उपयोग स्थानीय स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने में बिताया। कांग्रेसी भी इस दौरान खासे सक्रिय नजर आए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय रात में लालू प्रसाद यादव से गेस्ट हाउस में मिले। कुछ छोटे कांग्रेसी नेताओं ने भी भी उनसे अलग-अलग मुलाकात की। उल्लेखनीय यह रहा कि विपक्षी एकता को मजबूत करने की रणनीति पर चल रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनसे दूरी बनाए रखी। उनका कोई बड़ा नेता लालू से मिलने नहीं पहुंचा।
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