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'आधार' बना साइबर अपराधियों का 'हथियार', लगा रहे करोड़ों का चूना; सावधान!

पुलिस साइबर अपराधियों को पकड़ने में भी फेल साबित हो रही है। वर्ष-2017 में साइबर थाने पहुंचे मामलों का आंकड़ा 360 के पार पहुंच चुका है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 12:24 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 02:11 PM (IST)
'आधार' बना साइबर अपराधियों का 'हथियार', लगा रहे करोड़ों का चूना; सावधान!
'आधार' बना साइबर अपराधियों का 'हथियार', लगा रहे करोड़ों का चूना; सावधान!

रांची, [फहीम अख्तर]। जी हां, अब साइबर अपराधी बैंक खाता की डिटेल्स और एटीएम का पिन नहीं, आधार नंबर पूछ रहे हैं। आधार को फोन नंबर और बैंक खाते से लिंक कराने के नाम पर करोड़ों रुपये का चपत लगा रहे हैं। हाल के दिनों में साइबर अपराधियों ने ठगी का ट्रेंड बदल लिया है। लोग अब इस नए तरीके में फंस रहे हैं। ठग आपके आधार कार्ड का नंबर आपसे हासिल करते हैं। आधार नंबर से साइबर अपराधी लोगों के खाता नंबर का विवरण निकालकर आसानी से लोगों की गाढ़ी कमाई पर चपत लगा रहे हैं। हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें आधार नंबर पूछकर खाते से पैसे की निकासी की गई है। इन नए तरीके के इजाद से साइबर पुलिस के होश उड़ गए। पुलिस साइबर अपराधियों को पकड़ने में भी फेल साबित हो रही है। वर्ष-2017 में साइबर थाने पहुंचे मामलों का आंकड़ा 360 के पार पहुंच चुका है। लेकिन एक दो मामलों को छोड़ सभी मामले लंबित है।

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केस 1:

रांची के बरियातू निवासी संदीप कुमार के एकाउंट से कुछ दिनों पहले 60 हजार रुपये अचानक निकल गए। बैंक से संपर्क करने पर पता चला कि उनके खाते से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया गया। जांच करने पर पता चला कि संदीप से कुछ दिनों पहले एक युवक ने फोन करके आधार नंबर मांगा था। साथ ही उसके एकाउंट और मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से अपडेट करने की बात कही थी। वहीं रांची के रौनक से हैकरों ने आधार कार्ड का ओटीपी, बैंक का ओटीपी मांगा, जिसे उसने बिना ज्यादा तफ्तीश किए सौंप दिया। उसके जरिए उनके एकाउंट को हैक कर दिया गया था।

केस 2: 

रांची के सुखदेव नगर क्षेत्र के राजीव कुमार को साइबर अपराधियों ने फोन कर आधार नंबर पूछा, इसके बाद उनके खाते से 55 हजार की निकासी कर ली गई। साइबर अपराधियों ने आधार नंबर पूछकर ओटीपी भेजा था, जिसके माध्यम से ट्रांजेक्शन कर लिया गया।  

केस 3: 

रांची के पंडरा क्षेत्र के बुजुर्ग रामादेव वर्मा से अपराधियों ने आधार नंबर पूछकर उनके खाते से 22 हजार की निकासी कर ली थी। बुजुर्ग ने आधार नंबर और खाते की जानकारी दी थी। उनके खाते से पैसे की निकासी की जानकारी तब हुई थी, जब वे 15 दिनों के बाद पासबुक अपडेट कराने पहुंचे।  

आधार नंबर पूछ भेजते हैं ओटीपी 

साइबर अपराधी आधार कार्ड का नंबर मांगते हैं। साथ ही उसे एकाउंट से जोड़ने के लिए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) मांगते हैं। वे ओटीपी से फोन नंबर और आधार नंबर में बदलाव करते हैं। इसके जरिए लिंक एकाउंट तक भी उनकी पहुंच हो जाती है। बैंक एकाउंट से जुड़े हुए मोबाइल नंबर को भी आधार से लिंक करने का दावा पेश किया जाता है। बैंक का ओटीपी मिलते ही लिंक मोबाइल नंबर को बदल दिया जाता है। जिसके बाद बैंक ट्रांजेक्शन करना आसान हो जाता है। देखते ही देखते बैंक से हजारों रुपये गायब कर दिए जाते हैं। 

आधार के जरिए खुद करें लिंक  

नियम के अनुसार आधार कार्ड को लिंक करने के लिए ग्राहकों को बैंक जाना होगा। वहां आधार कार्ड का नंबर देकर वे एकाउंट को जोड़ सकते हैं। जबकि मोबाइल को लिंक करने के लिए भी ग्राहकों को मोबाइल कंपनी के दफ्तर जाना होगा। ऐसे में अगर फोन पर कोई आधार नंबर की मांग करता है तो वह पूरी तरह से गलत है। 

क्या कहते हैं जानकार

रांची में एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक अरुण पांडेय कहते हैं, बैंक कभी भी आपको फोन कर के आपका आधार नंबर और ओटीपी नहीं मांगता। बिल्कुल सतर्क रहें बैंक, आधार, पैन नंबर से जुड़ी कोई जानकारी फोन पर न दें। बैंक के खाते को अगर आधार से लिंक करवाना है तो ब्रांच में आकर ही उसे लिंक करवाएं। सतर्कता से ही इस तरह की ठगी से बचा जा सकता है। 

पुलिस प्रवक्ता और सदर रांची के डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव ने बताया, 'साइबर अपराधियों ने बचने के लिए पूरी सतर्कता जरूरी है। कभी भी लोगों को अपने खाते, आधार नंबर और एटीएम की जानकारी नहीं देना चाहिए। ऐसे किसी प्रकार के संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत साइबर पुलिस की मदद लेनी चाहिए।

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