काले धब्बे क्या धुले, उम्मीदों का उजाला दिखने लगा; ऐसा सुधरा आंकड़ा
झारखंड में उच्च पथों पर स्थित 155 ब्लैक स्पॉट्स को दुरुस्त कर दुर्घटनाओं पर नियंत्रण में विभाग सफल रहा है।
आशीष झा, रांची। चकाचक सड़कें और तेज रफ्तार वाहनों की दिनोंदिन बढ़ती संख्या के बावजूद दुर्घटनाओं में कमी आना एक सुखद परिकल्पना हो सकती है, लेकिन लगातार प्रयासों से झारखंड की टीम ने इसे सत्य कर दिखाया है। छोटी-छोटी कोशिशों से ही बड़ा बदलाव दिखा और इनमें सबसे पहली कोशिश रही काले धब्बों (ब्लैक स्पॉट्स) को दूर करना। राज्य में ऐसे 155 ब्लैक स्पॉट्स थे, जिन्हें दुरुस्त किया गया और परिणाम सामने आने लगे। इसके साथ-साथ कई वैकल्पिक प्रयासों का भी परिणाम दिखा। अब नतीजा यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में राज्य में दुर्घटनाओं की संख्या में 7.54 फीसद की कमी आई है तो हताहतों की संख्या भी घटी है। अब आनेवाले दिनों में दुर्घटनाएं कम होने की उम्मीद भी जगने लगी हैं।
सड़कों पर ब्लैक स्पॉट्स कम करने के लिए फिलहाल शॉर्ट टर्म मेजर्स पर काम चल रहा है। प्रयास यह किए गए कि इन इलाकों में ट्रैफिक स्लो हो जाए, पुलिस की मुस्तैदी हो और लोगों को संभावित खतरे की जानकारी दी जाए। इसके साथ ही एंबुलेंस की व्यवस्था और डॉक्टरों को सक्रिय कर विभाग ने सुनिश्चित कर लिया कि आनेवाले दिनों में परिस्थितियां बदलेंगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही। दुर्घटनाएं हुई भी तो घायलों को मौत के मुहाने से बचाने में सफलता मिली। इसमें कारगर साबित हुआ तमाम उच्च पथों पर एंबुलेंस की उपलब्धता। राज्य में 300 के लगभग एंबलेंस की खरीदारी हुई है, जिसमें से 164 इन उच्च पथों पर तैनात हैं। डायल 108 के तहत इनकी सुविधा आम लोगों तक उपलब्ध है।
जानें, क्या है ब्लैक स्पॉट्स
ब्लैक स्पॉट्स उन इलाकों को कहा जाता है जहां अधिक दुर्घटनाओं की संभावना हो। पिछले तीन साल के रिकॉर्ड में जिन इलाकों में पांच दुर्घटनाएं या दस लोगों की मौत हो चुकी हो, उसे ब्लैक स्पॉट कहते हैं। ऐसे स्पॉट कोई एक निश्चित जगह नहीं बल्कि 500 मीटर तक का रेंज होता है। राष्ट्रीय उच्च पथ और राज्य उच्च पथ पर इस तरह के 155 इलाके तलाशे गए हैं।
20602 लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाया
108 एंबुलेंस सेवा भी दुर्घटनाओं को कम करने में कारगर साबित हुआ। नवंबर से लेकर अप्रैल महीने तक छह माह के कार्यकाल में 108 एंबुलेंस सेवा से 20602 लोगों को ससमय अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें से अधिसंख्य की जान बच गई।
इस तरह के अपराधियों का पकड़ाना भी मददगार रहा
आंकड़ों के कम होने में नए तरह के अपराधियों का पकड़ा जाना भी विभाग के लिए मददगार साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विभाग ने तेज रफ्तार वाहनों, शराब पीकर गाड़ी चलानेवालों, ड्राइविंग के वक्त मोबाइल पर बात करनेवालों और ओवरलोडेड वाहन के चालकों को पकड़ना शुरू किया तो दुर्घटनाएं कम होने लगीं।
तेज रफ्तार वाहन चालक : 851
नशे में गाड़ी चलाने वाले : 718
गाड़ी चलाते हुए मोबाइल पर बात : 509
ओवरलोडेड वाहन : 800
हमने लोगों को जागरूक किया और नशे से दूर रहने की अपील की। अथक प्रयास कर ब्लैक स्पॉट्स को सुधारा। इसके बाद हालात बदले।
-राजेश इ. पात्रा, संयुक्त परिवहन आयुक्त, झारखंड।