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साथ भाया, अब सात फेरे लेकर निभाया शादी का वादा

रांची एक ऐसा खास शादी समारोह जहां अलग-अलग संस्कृति के रंग देखने को मिले। रांची में लिव इन में रह रहे 137 जोड़े शादी के बंधन में बंध गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 05:58 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 06:18 AM (IST)
साथ भाया, अब सात फेरे लेकर निभाया शादी का वादा
साथ भाया, अब सात फेरे लेकर निभाया शादी का वादा

जागरण संवाददाता, रांची : एक ऐसा खास शादी समारोह जहां अलग-अलग संस्कृति के रंग देखने को मिले। एक ओर पंडित हवन करा रहे थे तो दूसरी ओर से ईसाई धर्म गुरु जोड़ों को बाइबिल का पाठ रहे थे। एक हिस्से में सरना माता और धरम-करम की कहानी के साथ जीवन जीने की कसमें खिलायी जा रहीं थीं। तो वाद्य यंत्र पर विभिन्न धर्म के मिश्रित ध्वनि परिसर में सम्यक गूंज रहे थे। मौका था सामाजिक संस्था निमित्त व लायंस क्लब की ओर से रविवार को मोरहाबादी के सीएसओआई क्लब में लिव इन में रह रहे जोड़ों के लिए सामूहिक विवाह का। समारोह में लिव इन में रह रहे विभिन्न धर्म के 137 जोड़ों ने सात फेरा लेकर रिश्ते को अपना नाम दिया।

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इस अनूठी शादी में वर-वधु के परिजन के साथ बड़ी संख्या में उनके गांव वाले भी आये थे। इसमें कई ऐसे भी जोड़े थे जो वर्षो से साथ रह रहे थे। बच्चे की उम्र भी शादी की हो गई लेकिन अपने रिश्ते को अब तक नाम न दे सके। कारण यह कि शादी के बाद गांव वालों को भोज देना होता था और इस जोड़े के पास पैसे नहीं थे। सामाजिक मान्यता नहीं मिलने के कारण ये जोड़े अपने गांव में हिकारत की जिंदगी जी रहे थे। निमित्त संस्था ने लिव इन में रह रहे ऐसे जोड़ों को ढूंढ़ कर इनकी शादी करायी। इसमें हिदू धर्म के 72, सरना समाज के 53 व ईसाई समाज के 10 जोड़े शामिल थे। शादी अपने-अपने रीति-रिवाज के अनुरूप हुई। शादी के बाद नव दंपत्ति को शुभकामना के साथ गिफ्ट भी दिये गए। सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया।

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30 साल के रिश्ते को मिला नाम तो खिल उठे चेहरे

कांके प्रखंड के सांगा गांव निवासी सुदेश्वर गोप(55) व परमी (50) पिछले तीस सालों से साथ रह रहे थे। इस दौरान चार बच्चों का जन्म हो गया लेकिन शादी नहीं कर पाये। सुदेश्वर ईट भट्ठा पर काम करते हैं। बताया कि परंपरा है कि शादी के बाद गांव वालों को भोज देना है तभी शादी की मान्यता मिलेगी। न कभी भोज के पैसे हुए न शादी कर पाए। यही नहीं सुदेश्वर की बेटी भी छह साल से लिव इन में रह रही थी। एक ही मंडप में सुदेश्वर-परमी और उसकी बेटी कलावती-प्रताप की शादी हुई। इस शादी का गवाह बना कलावती का ढाई साल का नन्हा बेटा गोपाल। शादी संपन्न होने के बाद दोनों दंपत्ति ने एक दूसरे को बधाई दी।

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सात जन्मों के लिए महागठबंधन प्रतिज्ञा

नामकुम के बबलू मुंडा व सोनी कुमारी एक ही गांव के रहने वाले हैं। दिल मिले तो साथ रहने लगे। पैसे की तंगी के कारण सोनी को घर में ही छोड़कर कमाने के लिए पुणे चले गए। दो साल पहले एक बेटा हुआ। छह साल बाद शादी का मौका मिला। लाल चुनरी और गोद में दो साल के बेटे निखिल को लिए सोनी और बबलू ने सात जन्मों के लिए महागठबंधन की प्रतिज्ञा ली। पहान के आज्ञानुसार जब बबलू ने सिंदूर लगाया तो सोनी के चेहरे पर खुशी के भाव स्पष्ट तौर पर झलक रहे थे। लोहे की चूड़ी पहनने के बाद शादी संपन्न हुई।

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नवदंपतियों को मिला परमेश्वर का आशीष

ईसाई समाज के 10 जोड़े की शादी फादर एनेम डोडराय मुंडा ने संपन्न कराई। सफेद वस्त्र में वर-वधू काफी आकर्षक लग रहे थे। फादर ने जोड़े को आदम हव्वा की कहानी सुनाई। विवाह संपन्न होने के बाद जोड़ों ने प्रार्थना गाकर प्रभु यीशु मसीह से सफल वैवाहिक जीवन की विनती की।

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शोषित-पीड़ितों के उत्थान के लिए संस्था का गठन : निकिता सिन्हा

निमित्त संस्था की सचिव निकिता सिन्हा ने बताया कि 2009 में संस्था का गठन किया गया था। संस्था की ओर से यह चौथा आयोजन है। 18 जनवरी को गुमला में सामूहिक विवाह का आयोजन गया था। उन्होंने बताया कि लिव इन में रह रहे जोड़े को सम्मान नहीं मिलता है। कई लोग आर्थिक तंगी के कारण शादी नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों की मदद के लिए ही संस्था बनायी गई। फिलहाल संस्था से सात-आठ लोग जुड़े हुए हैं। निकिता के पति एनएन सिन्हा झारखंड कैडर के आइएएस हैं। वर्तमान में भारत सरकार में गृह विभाग के सचिव हैं। इस आयोजन में एनएन सिन्हा की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। निकिता सिन्हा ने बताया कि सामाजिक कार्य में उनके पति काफी सहयोग करते हैं। रात भर खुद जगकर आयोजन की तैयारी में जुटे हुए थे।

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समाज सेवा ईश्वरीय कार्य, मिलती है मानसिक शांति

एनएन सिन्हा सामाजिक सरोकार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। उन्होंने बताया कि समाज सेवा ईश्वरीय कार्य है। ईश्वर की मदद से ही सब कार्य संपन्न होते हैं। निकिता को हमेशा इस प्रकार के कार्य में सहयोग करता हूं।

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लिव इन में रहने वाले अधिकतर मजदूर

सामाजिक कार्यकर्ता जयंती देवी कांके के सांगा गांव की रहने वाली हैं। सामूहिक शादी में इस गांव के 13 जोड़े पहुंचे थे। जयंती के अनुसार लिव इन में रह रहे अधिकतर जोड़े बेहद गरीब हैं। मजदूरी करके परिवार चलाते हैं। शादी के लिए पैसा जमा करने में ही दिन बीत जाता है, शादी नहीं हो पाती है।

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सत्यप्रकाश मंगल ने अबतक कराई हैं 14 हजार शादियां

सामूहिक शादी में सेवायन संस्था का भी योगदान रहा। संस्था के कर्ताधर्ता सत्यप्रकाश मंगल भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। मूलरूप से मथुरा के रहने वाले सत्यप्रकाश अबतक 14400 शादियां करवा चुके हैं। उनकी संस्था मुख्यरूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम के ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक शादियां आयोजित कर लोगों की मदद करती है। उनका कहना है कि कोई ऐसा नहीं बचे जिसका गरीबी के कारण शादी न हो।

मौके पर डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने शादी के बंधन में बंधे नव विवाहिताओं को शुभकामनाएं दी।


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