डायन बिसाही को लेकर हत्या मामले में 14 वर्ष बाद 12वां आरोपित गिरफ्तार
तुपुदाना ओपी क्षेत्र के हजाम गाव में वर्ष 2005 में डायन बिसाही के आरोप में 12वें आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है। वर्ष 2005 की घटना है।
जागरण संवाददता, तुपुदाना : तुपुदाना ओपी क्षेत्र के हजाम गाव में वर्ष 2005 में डायन बिसाही के आरोप में हुई एक ही परिवार की सात लोगों की हत्या के मामले में 14 साल बाद 12वें आरोपित की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तार आरोपित तुपुदाना के हजाम गाव निवासी विनोद महतो पिता स्व. पलटू महतो है। उसे तुपुदाना थानेदार तारीक अनवर ने दबोच लिया। तुपुदाना थानेदार के अनुसार आरोपित वर्ष 2005 में घटना को अंजाम देने के बाद से फरार चल रहा था। इसबीच पुलिस को गुप्त सूचना मिलने के बाद विनोद को दबोच लिया गया। घटना में शामिल 15 आरोपितों में अबतक 12 की गिरफ्तारी हो चुकी है। घटना में शामिल 11वें आरोपित कुसुम घासी की गिरफ्तारी 22 फरवरी 2020 को हुई थी। दसवें आरोपित आनंद महतो की गिरफ्तारी 22 अक्टूबर 2019 को हुई थी। जबकि नौ आरोपित हरि महतो की गिरफ्तारी 11 अगस्त 2019 को हुई थी। इस मामले में अब भी तीन लोग फरार चल रहे हैं। उनकी तलाश में छापेमारी जारी है।
बता दें कि इस मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेकर फरार आरोपितों के संबंध में जानकारी ली थी। एसएसपी रांची को उपस्थित होने के बाद फरार आरोपितों की गिरफ्तारी का निर्देश दिया था। इसके बाद तुपुदाना में केस दर्ज किया गया है। साथ ही एक एसआइटी का गठन का आरोपितों की तलाश की जा रही है। केस करने पहुंची महिला को समझा था पागल :
बताते चलें कि वर्ष 2005 में हजाम निवासी बिरबल महतो सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई। डायन बिसाही का आरोप लगाकर एक पूरे परिवार को मार डाला गया था। जब परिवार के सदस्य रात में सोए थे। बिरबल के गोतिया आसमान महतो का उसके साथ विवाद चल रहा था। इस विवाद को लेकर आसमान महतो ने ग्रामीणों को बिरबल की पत्नी को डायन बताकर हत्या के लिए उकसाया था। इसके बाद ही बिरबल के घर को घेरकर पूरे परिवार को मार डाला गया था। हालाकि रात के अंधेरे का फायदा उठाकर अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ झाड़ी में छुपकर रात बिताई थी। सुबह वह तुपुदाना टीओपी (अब ओपी) पहुंचकर मामले की जानकारी दी थी। उस समय पुलिस ने पागल समझकर मामले को हल्के में लिया था। इसके बाद धुर्वा थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी कमाल खान ने मामले को गंभीरता से लेकर घटनास्थल पहुंचे थे। लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवाया था। इसके बाद गाव में छापेमारी की थी। उस समय ग्रामीण फरार हो गए थे।