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आखिर कहां गए झारखंड के 1114 बच्‍चे, पुलिस के हाथ पांच साल बाद भी खाली

झारखंड से गायब बच्चे देश के बड़े शहरों में फंसे हैं। अनेक तो कारखानों में कैद होकर बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं, कई बच्चियां घरेलू काम में लगा दी गई हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 04:00 PM (IST)
आखिर कहां गए झारखंड के 1114 बच्‍चे, पुलिस के हाथ पांच साल बाद भी खाली
आखिर कहां गए झारखंड के 1114 बच्‍चे, पुलिस के हाथ पांच साल बाद भी खाली

फहीम अख्तर, रांची। राजधानी रांची समेत झारखंड के अलग-अलग जिलों से हर दिन औसत दो बच्चे गायब हो रहे हैं। लेकिन इनकी तलाश कर पाने में पुलिस का सिस्टम फेल साबित हो रहा है। सीआइडी के अनुसार दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच वर्ष में 1114 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें बच्चियों की संख्या अधिक है, जिनका कोई सुराग नहीं है।

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यह आंकड़े कई गुना भी हो सकते हैं क्योंकि अनेक मामले तो दर्ज ही नहीं हो पा रहे हैं। सैकड़ों बच्चों के मां-बाप ऐसे हैं, जो बिना मामला दर्ज कराए ही अपने बच्चों के लौटने की आस में बैठे हैं। गायब बच्चों की तलाश के लिए राज्य में सीआइडी (अपराध अन्वेषण शाखा) की ओर से ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है। बच्चों की तस्करी रोकने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, चाइल्डलाइन समेत कई संस्थाएं काम कर रही हैं। लेकिन बच्चों की तस्करी और गायब होने का सिलसिला नहीं थम रहा है। राज्य में महज आठ एंटी ह़यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट नाकाफी साबित हो रही हैं।

झारखंड से गायब बच्चे देश के बड़े शहरों में फंसे हैं। अनेक तो कारखानों में कैद होकर बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं, कई बच्चियां घरेलू काम में लगा दी गई हैं। कई गलत धंधों में भी ढकेल दी गई हैं। ज्यादातर बेटियों को नौकरी लगाने का झांसा देकर मानव तस्कर बड़े शहरों में ले जाते हैं और वहां उसका सौदा कर देते हैं। अत्यंत पिछड़े और सुदूर जंगलों में बसे गांवों की युवतियों और बच्चों की तस्करी करने के कई मामलों की प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हो पाती है क्योकिं लोग अशिक्षित हैं और जागरूकता का अभाव है।

मानव तस्करों के निशाने पर ज्यादातर नाबालिग बच्चियां होती हैं। राज्य में इस साल दर्ज मामलों में 18 वर्ष से कम उम्र की बेटियों के गायब होने के 72 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र की 58 बच्चियां लापता हैं। इन बेटियों की स्थिति आज कैसी है, वह कहां हैं, क्या कर रही हैं, इसकी कोई जानकारी पुलिस के पास नहीं है।

पांच साल में दर्ज आंकड़े:-

वर्ष गुमशुदा बरामद गायब
2013 645 428 217
2014 581 343 268
2015 422 94 328
2016 723 470 253
2017 118 70 48
कुल 1114    

हत्या के मामले भी आ रहे सामने

बीते 20 मई 2018 को दिल्ली के मियांवाली इलाके स्थित एक नाले में रांची के लापुंग की रहने वाली सोनी (16) का शव बरामद किया गया था। मामले का आरोपित गुमला निवासी मंजीत करकेट्टा गिरफ्तार कर लिया गया। उसने बताया था कि सोनी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया गया था। 22 मई को दिल्ली में झारखंड की 17 वर्षीय नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। नाबालिग को तस्करी कर दिल्ली ले जाया गया था। रांची के जगन्नाथपुर के मौसीबाड़ी निवासी मजदूर के तीन बच्चे बीते 29 अप्रैल से गायब हैं। उनकी तलाश में स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं।

तलाश जारी है: राज्य बाल आयोग

बच्चों की गुमशुदगी को लेकर पुलिस विभाग को तत्परता बरतने को कहा गया है। हर जिले के एसपी को निर्देश दिया गया है। तलाश के लिए आयोग सहित कई संस्थाएं काम कर रही हैं। गायब बच्चों की तलाश जारी है।

-आरती कुजूर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, झारखंड


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