Pipe Burst in Hindalco Muri Plant: हिंडाल्को के मुरी प्लांट में लिकर पाइप फटने से 11 मजदूर घायल, पूरे एरिया को किया गया ब्लॉक
मुरी स्थित हिंडाल्को में लिकर पाइप फटने से 11 मजदूर घायल हो गए हैं। इन मजदूरों को आनन फानन रांची के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है बताया जा ...और पढ़ें

रांची, जासं । हिंडाल्को के मुरी प्लांट में लिकर पाइप फटने से 11 मजदूर घायल हो गए हैं। इन मजदूरों को आनन फानन रांची के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है बताया जा रहा है कि मंगलवार सुबह 6:10 पर हिंडालको मैं लिकर पाइप में ब्लास्ट हो गया। दरअसल, प्लांट में कास्टिक पाउडर का निर्माण हो रहा था। वहां से निकला कचरा लिकर पाइप के जरिए बाहर आता है मंगलवार सुबह यह पाइप फट गया।

जिसकी चपेट में मजदूर आ गए मजदूर कहां के रहने वाले हैं। अभी इसका पता नहीं चल सका। प्रबंधन की ओर से घटनास्थल पर जाने से रोक दिया गया है। उस पूरे एरिया को ब्लॉक किया गया है। घायलों में 2 सुपरवाइजर हैं बाकी है 9 स्थाई मजदूर हैं।
प्रबंधन के एक कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लापरवाही बरती गई है। गनीमत रही कि घटना में अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। जो लीकर पाइप फटा है उसका तापमान 250 डिग्री सेल्सियस है। इस पाइप से ही कास्टिक पाउडर का कचरा बाहर आता है।
घायलों के नाम
राजकुमार प्रधान -सुपरवाइजर
विक्रम साधु खान- सुपरवाइजर
मजदूर
श्रीकांत महतो
मेघनाथ
भोक्ता सोनार
गणेश महतो
विजय महतो
अनुप महतो
पहले से लीकेज था पाइप
बताया जा रहा है कि 12 इंंच के सेलेरी लीकर पाइप में पहले से लीकेज था। बोरा बांध कर काम चलाया जा रहा था। मजदूरों ने प्रबंधन को पहले भी इसकी सूचना दी थी। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
पहले भी हो चुका है हादसा, धंसा था रेड पौंड
मुरी के हिंडाल्को प्लांट में पहले भी हादसा हो चुका है। 10 अप्रैल 2019 को यहां रेड मड पौंड (कास्टिक तालाब) धंस गया था। इसका मलबा करीब डेढ़ किमी तक फैल गया था। घटना इतनी भयावह थी कि तीन हाइवा, एक पोकलेन, दो ट्रैक्टर भी मलबे में दब गए थे। किसानों के खेत में लगीं फसलें खराब हो गईं थीं। हालांकि जांच के बाद यह साफ हो गया था कि घटना में किसी की मौत नहीं हुई थी। बता दें कि हिंडाल्को कारखाने में बाक्साइट से एल्यूमिनियम के उत्पादन के दौरान जो अवशेष निकलता है वह रेड मड कहलाता है। लाल रंग के इस अवशेष में कैमिकल और पानी मिला होता है। पिछले 70 साल से यह मलबा यहां जमा होता रहा था। इसने सौ फीट ऊंचे पहाड़ का रूप ले लिया था। अत्यधिक दबाव के कारण यह टूट गया था। दो साल पहले हुए हादसे के बाद भी कंपनी ने सबक नहीं लिया।

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