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एक-दूजे के हुए 11 दिव्यांग जोड़े

अग्नि के सात फेरे लेकर ग्यारह दिव्यांग जोड़े एक-दूजे के हो गए। शहनाई बज रही थी। ढोल-नगाड़े की गूंज और मंत्रोच्चारण के अनवरत प्रवाह के बीच विवाह संपन्न हुआ। मारवाड़ी महिला मंच की रांची शाखा की ओर से समन्वयक मंच विश्व ¨हदू परिषद, रांची के सहयोग से हरमू रोड स्थित मारवाड़ी भवन में अलग-अलग क्षेत्र के ग्यारह दिव्यांग जोड़ों का सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। गायत्री शक्तिपीठ हरिद्वार के सान्निध्य में गायत्री शक्तिपीठ धुर्वा के पुजारी प्रमोद कुमार, रणवीर कुमार और रमता जी ने वैदिक रीति से विधि-विधान पूर्वक विवाह कार्य संपन्न कराया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 03:39 PM (IST)Updated: Tue, 15 May 2018 03:39 PM (IST)
एक-दूजे के हुए 11 दिव्यांग जोड़े
एक-दूजे के हुए 11 दिव्यांग जोड़े

जागरण संवाददाता, रांची : अग्नि के सात फेरे लेकर ग्यारह दिव्यांग जोड़े एक-दूजे के हो गए। शहनाई बज रही थी। ढोल-नगाड़े की गूंज और मंत्रोच्चारण के अनवरत प्रवाह के बीच विवाह संपन्न हुआ। मारवाड़ी महिला मंच की रांची शाखा की ओर से समन्वयक मंच विश्व ¨हदू परिषद, रांची के सहयोग से हरमू रोड स्थित मारवाड़ी भवन में अलग-अलग क्षेत्र के ग्यारह दिव्यांग जोड़ों का सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। गायत्री शक्तिपीठ हरिद्वार के सान्निध्य में गायत्री शक्तिपीठ धुर्वा के पुजारी प्रमोद कुमार, रणवीर कुमार और रमता जी ने वैदिक रीति से विधि-विधान पूर्वक विवाह कार्य संपन्न कराया।

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सुबह आठ बजे से शुरू हुई रस्म

विवाह की रस्में सुबह आठ बजे शुरू हुईं, जो अपराह्न चार बचे तक चली। वर पक्ष की ओर से बराती भी सजकर आए। जिनका आयोजन समिति और समाज के अन्य लोगों द्वारा मारवाड़ी भवन में स्वागत किया गया। दुल्हनों का श्रृंगार किया गया। तमाम रस्मों को निभाते हुए वर-वधुओं ने अपने-अपने जोड़े के साथ जयमाल की रस्म अदा की। बीच-बीच में मौजूद महिला मंडली दूल्हे की चुटकी भी लेती रही। हंसी-ठहाका का दौर भी चलता रहा।

नव दंपतियों को दिया गया उपहार

वर-वधुओं को गृहस्थ जीवन को आगे बढ़ाने के लिए मंच की ओर से उपहार के तौर पर गृहस्थाश्रम से जुड़ी आवश्यक सामग्री, बक्से में दूल्हा-दुल्हन का जोड़ा, साड़ी, पैंट-शर्ट, चादर, बैग, मेकअप सामग्री, पायल, पोटली, नथ, ज्वेलरी सेट, फोल्डिंग, कोट, दरी, चटाई, छाता, तकिया, 52 बर्तनों का सेट, प्रेशर कूकर, बक्सा, दीवार घड़ी, कलाई घड़ी, टेबल, आयरन आदि घरेलू उपयोग की सामग्री भेंट की गई।

आशीष संग वधू की विदाई-

संध्या पांच बजे नवविवाहित दंपतियों को सुखद दांपत्य जीवन की शुभकामनाएं देकर विदा किया गया। विवाह समारोह में सभी वर-वधू के माता-पिता, कुटुंब और मित्र समेत शहर के सैकड़ों लोग मौजूद थे।

एक-दूसरे के हुए ये जोड़े

कांके की सीमा कुमारी संग पिठौरिया के जतन करमाली, पाखरटोली कांके की शांति मिंज संग तेतरी के संदीप लकड़ा, सिंदरौल की पूनम लकड़ा संग राजा उलातू के बंधन लकड़ा, टाटीसिलवे की रानी कुमारी संग नामकुम के बासु लकड़ा, तेतरी की गुड्डी एक्का संग नामकुम के रंजीत उरांव, पिठौरिया की हीरामती कुमारी संग लखीमपुर के हरिओम, जगन्नाथपुर की मानती कच्छप संग नामकुम के बिरसा लकड़ा, अनगड़ा की संगीता कुमारी संग टाटीसिल्वे के मनोज महतो, कर्रा के करमी धान संग हुंडरू हटिया की चंपा कच्छप, ओरमांझी की बसंती उरांव संग मन्हा के रोशन उरांव, पिठौरिया की अनु कुमारी संग अेारामांझी के जितेंद्र उरांव परिणय सूत्र में बंधे।

दिव्यांगों को मिल रहा मौका

मौके पर मारवाड़ी महिला मंच की ओर से विवाह समारोह संयोजिका नीरा बथवाल, अध्यक्ष मंजू केडिया और सचिव कविता नारसरिया ने बताया कि मारवाड़ी समाज को पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में आडंबर और दिखावे से हट कर कुरीतियों से बचकर अपने परिवारों के अनुष्ठानों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना चाहिए। सामाजिक संवेदनाओं और मानवीय हितों को बढ़ाने वाले कुछ न कुछ कार्य भी करना चाहिए। वैवाहिक जीवन जीने का अधिकार सबके पास है। दिव्यांग समाज में इस अधिकार से वंचित रह रहे हैं। उनका विवाह कराकर काफी खुशी मिल रही है। इसी कड़ी में समाज और परिवार से उपेक्षित दिव्यागों को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर उनके लिए गृहस्थ जीवन में प्रवेश का सुअवसर प्रदान करने के लिए मारवाड़ी समाज की महिलाएं आगे आ रही हैं। समन्वय मंच विश्व ¨हदू परिषद के प्रांत प्रमुख अशोक कुमार अग्रवाल ने बताया कि समाज में इस तरह के आयोजन से वंचित दिव्याग वर्ग को मान-सम्मान देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़कर संवेदनशीलता और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। मंच द्वारा अब तक 500 से अधिक सामूहिक विवाह कराने में सहयोग दिया जा चुका है।


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