सतगुरु की सेवा सफल हैं, जे को करे चित लाए..
रामगढ़ : घर-बाहर तेरा भरवासा तू जन के हैं संग, कर कृपा प्रीतम प्रभु अपने नाम जपो हर रंग.., सतगुरु की सेवा सफल है, जे को करे चित लाए..,नानक नाम चढ़दी कला, तेरे मानो सर्बत दा भला..,जब लग खालसा रहे निआरा, तब लग तेज दीओ मैं सारा.., एैसे गुरु को बल बल जोड़ये, आप मुक्त मोहे तारे..आदि गुरुवाणी के गायन से सिख पंथ के लोग निहाल हो रहे थे।
रामगढ़ : घर-बाहर तेरा भरवासा तू जन के हैं संग, कर कृपा प्रीतम प्रभु अपने नाम जपो हर रंग.., सतगुरु की सेवा सफल है, जे को करे चित लाए..,नानक नाम चढ़दी कला, तेरे मानो सर्बत दा भला..,जब लग खालसा रहे निआरा, तब लग तेज दीओ मैं सारा.., एैसे गुरु को बल बल जोड़ये, आप मुक्त मोहे तारे..आदि गुरुवाणी के गायन से सिख पंथ के लोग निहाल हो रहे थे। मौका था गुरुद्वारा साहिब में चालीस मुक्तों के शहादत दिवस का। सिख इतिहास में सुनहरी इतिहास के रूप में दर्ज चालीस मुक्तों की शहादत को विशेष स्थान हासिल है। पंजाब में खदराणे की ढाब नाम स्थान में मुगलों की विशाल सेना से केवल चालीस जाबांज सिख सैनिकों ने लोहा लेते हुए शहादत प्राप्त की थी। इसे सिख इतिहास में इन्हें चालीस मुक्ते के नाम से जाना जाता है। यह घटना 14 दिसंबर 1705 ई. की है। इधर गुरुद्वारा साहिब में विशेष दिवान सजाया गया। इस दौरान बारामूला काश्मीर वाले जत्था अर¨वदर पाल ¨सह ने गुरुवाणी कर संगत को निहाल कर दिया। गुरुवाणी के बाद अटूट लंगर का आयोजन किया गया। साथ ही सुबह पंजाबी माह की संग्राद भी मनाई गई। इस दौरान प्रधान र¨मदर ¨सह गांधी, महासचिव जगजीत ¨सह सोनी, रघुवीर ¨सह छाबड़ा, प्रीतम ¨सह कालरा, डॉ. नरेंद्र ¨सह, रंजीत ¨सह छाबड़ा, दवेंद्र ¨सह अरोड़ा, मंजीत ¨सह होरा, मनमोहन ¨सह लांबा, दौलत ¨सह, इंद्रपाल ¨सह सैनी, पर¨मदर ¨सह जस्सल, रवींद्र ¨सह बिट्टी, कुलवीर ¨सह छाबड़ा, गुरप्रीत ¨सह, इंद्रजीत ¨सह होरा, नरेंद्र ¨सह गांधी, गुर¨वदर ¨सह कालरा, ते¨जदर ¨सह सोनी, हरमंदिर ¨सह, बल¨सदर ¨सह पवार, डॉ. मनबीर कौर, लवली गांधी, सतपाल कौर सोनी, नरेश कौर, मनराज कौर पलाहा, रंजू अरोड़ा आदि मौजूद थे।