दोनों पैरों से दिव्यांग, पर प्रतिभा चूम रही पांव
तारकेश्वर महतो रजरप्पा(रामगढ़) शरीर से दिव्यांग पर हर कला में निपुण। जज्बा ऐसा कि बड़
तारकेश्वर महतो, रजरप्पा(रामगढ़):
शरीर से दिव्यांग पर हर कला में निपुण। जज्बा ऐसा कि बड़े-बड़ों को पीछे छोड़ते हुए हर प्रतियोगिता का इनाम अपने नाम कर लेना। ऐसा है हमारा रजरप्पा का लाल दिव्यांग जितेंद्र जो वर्तमान में झारखंड स्टेट दिव्यांग क्रिकेट टीम का कैप्टन है। हाल ही में कला संस्कृति में बेहतर प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ में जितेंद्र पटेल को राष्ट्रीय दिव्यांग रत्न से सम्मानित किया गया है। रजरप्पा के छोटकी पोना निवासी विश्वनाथ महतो का 30 वर्षीय पुत्र है जितेंद्र। दोनों पैरो से दिव्यांग पर प्रतिभा पैर चूमती है।
कला की बात करें तो एक-दो नहीं, हर कला में ही निपुण है जितेंद्र। स्कूल में टीचर की भूमिका हो या क्रिकेट के मैदान में बेहतरीन क्रिकेटर का, या फिर रॉक ब्रेकडांसर के तौर पर अपनी अलग ही पहचान बनाई है। इसने विभिन्न स्टेट के खिलाफ क्रिकेट खेलते हुए ना सिर्फ बेहतर बल्लेबाजी की है, बल्कि फिल्डिग भी लाजवाब तरीके से करता है। वह दुर्गा पूजा और दीपावली जैसे त्योहारों में स्टेज शो के लिए बाहर जाता है। जितेंद्र दिल्ली, कोलकाता बंगलुरू और चेन्नई जैसे शहरों में अपने डांस का जलवा दिखा चुका है। जितेंद्र पटेल की उपलब्धियां
वर्ष 2020 : कला संस्कृति और बेहतर प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ में मिला राष्ट्रीय दिव्यांग रत्न सम्मान
वर्ष 2015 : जवाहरलाल स्टेडियम चेनई में इंटर स्टेट दिव्यांग तैराकी प्रतियोगिता में राजस्थान को हराकर झारखंड का जितेंद्र बना चैंपियन।
वर्ष 2014 : हल्दिया में इंटर स्टेड दिव्यांग डांस प्रतियोगिता में राजस्थान के अभिषेक शर्मा एंड ग्रुप से हारा, दूसरे स्थान पर रहा जितेंद्र एंड ग्रुप।
वर्ष 2013 : झारखंड और यूपी के बीच दिव्यांग क्रिकेट का प्रदर्शनी मैच बजनौर के नेहरू स्टेडियम में हुआ। जितेंद्र ने जड़ा 65, झारखंड की टीम रही विजयी।
वर्ष 2012 : लखनऊ में इंटर स्टेट दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता, जितेंद्र के नाबाद 85 रन के बदौलत झारखंड चैंपियन ट्रॉफी पर कब्जा।
वर्ष 2009 : कोलकाता में इंटर स्टेड दिव्यांग डांस प्रतियोगिता, प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका के गीतों पर डांस करते हुए जितेंद्र बना चैंपियन। आर्थिक तंगी से पढ़ाई छोड़, डांस सिखाकर परिवार का करता है भरण पोषण
जितेंद्र के पिता खेती कर परिवार का लालन पालन करते हैं। इसकी आठ बहनें और एक भाई है। गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ जितेंद्र प्राइवेट स्कूलों में डांस टीचर के तौर पर काम कर परिवार के भरण-पोषण में सहयोग कर रहा है। दिव्यांग होने के बावजूद कई सरकारी सहायता से वंचित होने के कारण जितेंद्र काफी दुखी है। ----------
कोट
हौंसला बुंलद रखें, सफलता कदम चूमेगी। दिव्यांगता को कमजोरी समझने वाले कभी सफल नहीं हो सकते, हौंसला बुलंद रखने वालों को ही सफलता मिलती है।
-जितेंद्र पटेल
कैप्टन, झारखंड स्टेट दिव्यांग क्रिकेट टीम।