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काम पर नहीं गए कामगार, उत्पादन ठप

रजरप्पा : कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा संडे ड्यूटी पर कटौती को लेकर रविवार को सीसीएल रजरप्

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 09:41 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 09:41 PM (IST)
काम पर नहीं गए कामगार, उत्पादन ठप
काम पर नहीं गए कामगार, उत्पादन ठप

रजरप्पा : कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा संडे ड्यूटी पर कटौती को लेकर रविवार को सीसीएल रजरप्पा क्षेत्र के कामगारों ने दुर्गा मंडप के परिसर में जमा होकर अपना विरोध जताया। उसके बाद कार्यस्थलों पर जाकर कामकाज ठप करा दिया गया। इसके कारण कोयला उत्पादन पूरी तरह ठप रहा। और रजरप्पा कोलवाशरी प्लांट भी नहीं चला। रजरप्पा में करीब ढाई हजार टन प्रतिदिन कोयले का उत्पादन होता है। लेकिन कामगारों के विरोध के कारण रविवार को कोयले का उत्पादन नहीं हुआ। जिसके कारण प्रबंधन को लाखों रुपए की क्षति हुई। इधर रजरप्पा क्षेत्र के खदान के अलावे कोलवाशरी प्लांट में भी उत्पादन ठप रहा। साथ ही वेश वर्कशॉप, हॉस्पिटल और पानी टंकी के कामगार भी हड़ताल पर रहे। हड़ताल के दौरान केवल सुरक्षाकर्मी और अस्पतालकर्मी बिना हाजरी बनाए हुए इमरजेंसी ड्यूटी किया। सीसीएल रजरप्पा क्षेत्र में कुल 1512 मैनपावर कार्यरत है। इसमें करीब 1100 कामगारों को ही संडे ड्यूटी दी गई थी। लगभग चार सौ कामगारों को संडे ड्यूटी की सूची में नाम नही था। इधर रजरप्पा कोलवाशरी से कोयला लेने आई रैक भी लोड नहीं होने कारण दिनभर खड़ी रही। इस दौरान विभिन्न मजदूर संगठन के नेताओं ने जीएम गेट के समीप प्रबंधन और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी किया। मौके पर भामसं के अनिल प्रसाद, आरपी राम, एजेकेएसएस के र¨वद्र वर्मा, सुरेश राम, ददई गुट के राजेंद्रनाथ चौधरी, हाजी अख्तर आजाद, इंटक के किशोरी प्रसाद, आरपी ¨सह, आरकेएमयू के रमेश विश्वकर्मा, प्रदीप पटवा, सीएमयू के चंद्रेश्वर ¨सह, सीडी ¨सह, जमसं के मो अख्तर, करमा चरितर राम, एटक के करमा मांझी, अरुण कुमार, झाकोमयू के महेंद्र मिस्त्री, सोहन मांझी, दी झाकोमयू के उमेश महतो, डीएन चौधरी, सीटू के सुखसागर ¨सह और अर्जुन मंडल मौजूद थे।प्रमुख ¨बदूप्रबंधन ने यूनियन नेताओं से पुर्नविचार की अपील की। नेताओं ने कहा, पुरानी व्यवस्था लागू करेंहड़ताल के बाद रजरप्पा जीएम आलोक कुमार ने कहा कि यह निर्णय उच्च प्रबंधन की है। अधिकतर मजदूरों को संडे ड्यूटी दिया गया है। इसके बावजूद भी यह हड़ताल हुई। जिससे सीसीएल को आर्थिक क्षति हुई है। इसलिए कंपनी हित में मजदूर संगठनों को पुर्नविचार किया जाना चाहिए। 

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