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बंद खदान खोलने व लोकल सेल से बनेगी बात

तरुण बागी/ राकेश पांडेय रामगढ़ रामगढ़ जिले में कोयला आधारित उद्योगों को फिर से स्थाि

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 09:25 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 09:25 PM (IST)
बंद खदान खोलने व लोकल सेल से बनेगी बात
बंद खदान खोलने व लोकल सेल से बनेगी बात

तरुण बागी/ राकेश पांडेय, रामगढ़ : रामगढ़ जिले में कोयला आधारित उद्योगों को फिर से स्थापित करने से यहां के हजारों लोग आत्मनिर्भर हो सकते हैं। इसके लिए जिले में बंद पड़ी कोयला खदानों को चालू करना होगा। लोकल सेल की व्यवस्था कर कोयले की बिक्री करनी पड़ेगी। सरकार स्तर पर इसके लिए नए सिरे से नीति निर्धारण करना होगा। जिले के जनप्रतिनिधियों को भी इसके लिए आगे आकर सरकार को दबाव बनाने की जरूरत होगी। हालांकि पिछले एक दशक से विभिन्न राजनीतिक दलों, श्रमिक संगठनों, रैयत विस्थापित समितियों के लोगों द्वारा समय-समय पर बंद पड़े कोयला खदानों व लोकल सेल को चालू कराने की मांग को लेकर आंदोलन किया जाता रहा है। लेकिन अभी तक नतीजा नहीं निकला।

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रामगढ़ जिले में सीसीएल की चार-पांच प्रक्षेत्र कार्यरत हैं। इन प्रक्षेत्रों में दर्जन भर से अधिक लोकल सेल स्थापित हैं। इसमें कई कुछ कारणों से बंद पड़े हैं। इन्हें सुचारू रूप से चलाकर हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। जिले के भुरकुंडा, रेलीगढ़ा, गिद्दी, उरीमारी, बिरसा, न्यू बिरसा, तोपा, करमा, झारखंड, पुंडी, तापीन, परेज, रजरप्पा, कुजू, हेसागढ़ा, अरगडा, सिरका, केदला, आराकांटा आदि लोकल सेलों में पूर्व में हजारों मजदूर कार्यरत थे। इनमें से कई लोकल सेल बंद हो चुके हैं। और जो खुले भी हैं वे कई कारणों से बार-बार बंदी की भी दंश झेलते रहते हैं। जिले में एक दशक के पहले तक दो दर्जन से अधिक लोकल सेल यानी रोड सेल का संचालन होता था। जहां मजदूर ट्रकों में कोयला लोड करते थे। प्रत्येक रोड सेल करीब-करीब एक हजार मजदूरों की कमाई का स्थायी जरिया था। लेकिन वर्तमान में प्रबंधन की कुछ उदासीनता व नीति के कारण बहुत ही कम रोड सेल का संचालन हो रहा है। रोजगार का जरिया रहे रोड सेल की उपेक्षा जिले में बेरोजगारी की मुख्य वजहों में एक है। रोड सेल से रोजाना सैकड़ों ट्रक से कोयला बाहर की मंडियों, फैक्ट्रियों, ईंट भट्ठों को भेजी जाती थी। ये सब भी रोजगार से जुड़े थे। इसके अलावा रोड सेल संचालन, ट्रांसपोर्ट, कोल डीपो समेत अन्य गतिविधियों से भी सैकड़ों को रोजगार देता था। रोड सेल में रोजगार की सबसे बड़ी संभावना जुड़ी हुई है। लेकिन प्रबंधकीय उदासीनता और रेल रैक से कोयला भेजने की होड़ के कारण रोड सेल को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा। पावर प्लांट को बाहरी कंपनियों को प्राथमिकता के कारण आज चल रहे रोड सेल में भी कोयले की आपूर्ति न के बराबर रह गई है। कोलियरी का एक-एक कर बंद होते जाना भी, इस समस्या को बढ़ा रहा है। ऐसे में जरूरत है रोजगार के सबसे बड़े अवसर रोड सेल के प्रति सही योजना तैयार कर उसका सही ढंग से संचालन करने की।

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फोटो 07- अरुण कुमार सिंह

जिले से कोयला को बाहर भेजने के बजाए स्थानीय उद्योग को कोयला उपलब्ध कराने से रामगढ़ जिले की औद्योगिक रफ्तार तेज होगी। बेरोजगार सीधे रोजगार से जुड़ जाएंगे। जिले में कोयले का अपार भंडार है। फिर भी जिले के लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। इससे जहां प्रदेश को आर्थिक हानि उठानी पड़ रहा है। वहीं राज्य के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। लॉकडाउन के दौरान राज्य से बाहर जाने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या बयां करती है। किसी भी उद्योग की रीढ़ कोयला है। परंतु वर्तमान समय में उद्योग की जननी माने जाने वाली कोयला उद्योग को अपनी मौत मरने के लिए छोड़ दिया गया है। सरकार को चाहिए कि नियम को लचीला बनाकर जिन रैयतों की जमीन ली जाती है। उन्हीं रैयतों की सहकारी समिति बनाकर खनन का अधिकार दें। इससे राज्य में रोजगार बढ़ेगा। अधिकतर कोयला रोड सेल के माध्यम से स्थानीय उद्योगों को बेचा जाए, ताकि क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिले। झारखंड में उत्पादित कोयला का अधिकांश हिस्सा पावर प्लांट को औने-पौने दाम में दिया जा रहा है। इससे राजस्य का घाटा हो रहा है। झारखंड राज्य में ही उच्चतम तकनीक का पावर प्लांट लगाकर यहां के कोयले को पावर प्लांट को देकर सस्ते दर में लोगों को बिजली उपलब्ध कराए।

- अरुण कुमार सिंह, एनसीओइए अरगडा एरिया सचिव।

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फोटो 08- गिरधारी गोप।

कोयलांचल का ब्लैक डायमंड मतलब कोयला है। रामगढ़ जिले की पहचान में कोयला उद्योग की अहम भूमिका है। कुछ वर्ष पहले चले तो रामगढ़ जिले की तस्वीर वर्तमान से जुदा थीं। काले हीरे के लिए विख्यात इस धरती पर कोयले से जुड़े इतने रोजगार मौजूद थे कि पलायन का नाम भी लोग नहीं सुनते थे। यहां का कोयला उद्योग बाहर प्रदेश से आनेवाले लोगों को भी रोजगार का अवसर देता था। लेकिन वर्तमान में जो हालात है। वह किसी से छुपी हुई नहीं है। यहां के विस्थापित, बेराजगार युवकों को कोयले के कारोबार में भागीदारी दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार आंदेालन किया जाता रहा है। यदि राज्य सरकार सार्थक पहल करें। बंद कोलियरियों व लोकल सेल को चालू करें, तो फिर से कोयलांचल में रौनक लौटेगी। हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। कोयला के कारोबार करने वाले व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों को लाभ होगा। राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

- गिरधारी गोप, राजद प्रदेश महासचिव सह लोकल सेल श्रमिक प्रतिनिधि

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फोटो 09- अनिल सिंह

रामगढ़ जिले में एक दशक पहले तक कोयला आधारित उद्योगों में काफी चमक थी। सैकड़ों लोग इस कोयला आधारित उद्योग से लेकर कोयला से जुड़ी अन्य कामों में आत्मनिर्भर थे। लोगों को कोयला से आसानी से रोजगार मिला करता था। लेकिन कोल इंडिया, केंद्र व राज्य सरकार की नीति के कारण आज सभी तरह के कोयला आधारित उद्योग बीमार हो गई। कोलियरियों के उत्पादित कोयले को पहले मजदूरों के माध्यम से गाड़ियों में लोड कर बाहर भेजा था। इस प्रक्रिया में लोकल सेल संचालन समितियों के मार्फत स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलता था। गांव के मजदूरों को इसके माध्यम से गांव में हीं नौकरी मिल जाती थी। कोयला आधारित लघु उद्योगों के माध्यम से भी मजदूरों को आसानी से काम मिलता था। लेकिन आज रोजगार के ये संशाधन पूरी तरह से बंद है। अब एकजुट होकर उक्त पुरानी व्यवस्था को शुरू कराकर मजदूरों को रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना होगा।

- अनिल सिंह, दि झाकोमयू सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्रीय सचिव।

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फोटो 10- राजकिशोर पांडेय

रामगढ़ जिले में कोयले का अकूत भंडार है। कोयला उद्योग के क्षेत्र में ईमानदारी पूर्वक पहले की जाए तो यहां के बेराजगार व प्रवासी मजदूरों को रोजगार की कोई कमी नहीं होगी। इससे जिले के हर तबके के लोग आत्मनिर्भर बन सकेंगे। आधारित उद्योग के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराने के लिए सीसीएल प्रबंधन व सरकार को चाहिए कि जिले में बंद पड़े खदानों को चालू कराएं। प्रबंधन व सरकार लोकल रोड सेल के माध्यम से कोयला की बिक्री कराने की व्यवस्था कराएं। इससे काफी संख्या में रोजगार का सृजन होगा। इसके अलावा सीसीएल सपोर्ट ई-ऑक्शन में नियमित रूप से प्रति माह काफी मात्रा में कोयले का ऑक्शन पर कोयला व्यापार से जुड़े हर तबके के लोगों को रोजगार मिलने के साथ सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होगी।

- राजकिशोर पांडेय ट्रेड यूनियन नेता

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फोटो 11- अर्चना देवी

रामगढ़ जिला कोयलानगरी के रूप में जाना जाता है। लेकिन बिडंबना है कि यहां के बेरोजगार व मजदूरों को कोयला से जुड़े काम का अभाव है। जिले के कई कोयला खदानें बंद है। लोकल सेल की स्थिति भी खराब है। कई बार बेरोजगार, विस्थापित व रैयतों को नौकरी व रोजगार दिलाने की मांग को लेकर सरकार व जिला प्रशासन का ध्यानाकृष्ट कराया जा चुका है। सरकार की ओर से बंद खदानों को खोलने की पहल हो और कोयला आधारित बंद पड़े उद्योगों को पुन: चालू किया जाए तो पूरे रामगढ़ जिले में मजदूरों को रोजगार की कोई कमी नहीं होगी। साथ हीं स्पोर्ट ई-ऑक्शन के माध्यम से सीसीएल कोयले का ऑक्शन नियमित कराएं तो क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं होगी। यहां के लोगो को रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश जाने की आवश्यकता नही पड़ेगी।

- अर्चना देवी, जिला परिषद सदस्य रामगढ़।


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