फूलों से सजा गया मां छिन्मस्तिके मंदिर
़फोटो 34 आकर्षक रुप में सजा मां छिन्नमस्तिके मंदिर। संवाद सूत्र रजरप्पा रजरप्पा स्थित मां छिन्मस्तिका मंदिर में वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को माता कुष्माण्डा की पूजा की गई। मंगलवार को भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन माता कूष्माण्डा का पाठ सहित धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। जिससे आसपास का वातावरण भक्तिमय बना रहा। यहां तक कि सूर्यमंडल के भीतर निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति माता की इन्हीं स्वरूपों में माना गया है। मंदिर के पुजारी शुभाशीष पंडा ने बताया कि माता की आठ भुजाएं हैं। ये अष्ट भुजा देवी के नाम से भी विख्यात है। इनके सात हाथों में कमंडल धनुष बाण कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश चक्र तथा गदा है।
रजरप्पा : रजरप्पा स्थित मां छिन्मस्तिका मंदिर में वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को माता कुष्माण्डा की पूजा की गई। मंगलवार को भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन, माता कूष्माण्डा का पाठ सहित धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। जिससे आसपास का वातावरण भक्तिमय बना रहा। यहां तक कि सूर्यमंडल के भीतर निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति माता की इन्हीं स्वरूपों में माना गया है। मंदिर के पुजारी शुभाशीष पंडा ने बताया कि माता की आठ भुजाएं हैं। ये अष्ट भुजा देवी के नाम से भी विख्यात है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। माता कूष्माण्डा की पूजा अर्चना श्रद्धालुओं को शांत-संयमित होकर, भक्ति भाव से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनकी उपासना से भक्तों को सभी सिद्धियां व निधियां मिलती हैं। इस दिन माता को मालपुआ को प्रसाद लगाने पर श्रद्धालुओं के बुद्धि का विकास होता है। कलश स्थापना के चौथे दिन भक्ति और समर्पण के साथ माता के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा की पूजा अर्चना किया गया। पुजारी शुभाशीष पंडा के अनुसार देवी के चौथे स्वरूप की पूजा से भक्तों व श्राद्धालुओं को दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से निवारण हो जाता है तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इधर, नवरात्र को लेकर कोलकाता से आये कारीगरों ने आकर्षक फूलों से मां छिन्नमस्तिका मंदिर को सजाया गया है। रात में टिमटिमाती बल्बों की रौशनी के कारण मंदिर की सुंदरता में चार चांद लग जाता है।