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दस लक्ष्ण पर्व पर हुई हुई उत्तम त्याग की पूजा

रामगढ़ : दशलक्षण धर्म पर्यूषण पर्व के आठवें दिन शुक्रवार रांची रोड श्री पा‌र्श्वनाथ जैन मंदिर

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:24 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:24 PM (IST)
दस लक्ष्ण पर्व पर हुई हुई उत्तम त्याग की पूजा
दस लक्ष्ण पर्व पर हुई हुई उत्तम त्याग की पूजा

रामगढ़ : दशलक्षण धर्म पर्यूषण पर्व के आठवें दिन शुक्रवार रांची रोड श्री पा‌र्श्वनाथ जैन मंदिर में उत्तम त्याग धर्म की पूजा की गई। जैन धर्म मे त्याग धर्म को बहुत महत्व दिया गया है। मनुष्य अपने जीवन में अपने विषय भोगों और पांच इन्द्रियों को संतुष्ट करने में लगा रहता है और इसी के वशीभूत होकर अनेकों पाप करता है। इसलिए इनका जितना भी त्याग हम करेंगे उतना ही पाप का बंध काम होगा। दान करना और त्याग करना। ये दोनों एक नहीं है। दोनों में बहुत अंतर है।आम तौर पर दान करने को लोग त्याग करना समझ लेते हैं। दान किया गया है किसी उद्देश्य के लिए। उपकार के लिए। जबकि त्याग किया जाता है अपने जीवन में संयम लाने के लिए। अपने जीवन को सरल बनाने के लिए। दान करने वाला यह सोचता है कि मैं जितना दान करूंगा भगवान मुझे उसका कई गुना देगा। उसका लोभ छूटता नहीं, बल्कि बढ़ जाता है। लेकिन त्याग करने का अर्थ है, हमेशा के लिए त्याग कर देना। फिर उसके चक्कर मे नहीं रहना। शुक्रवार को

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प्रथम कलश करने का सौभाग्य विमल सेठी एवं शांति धारा करने का सौभाग्य राकेश पांड्या को प्राप्त हुआ।

 इस अवसर पर सुभाष पाटनी, नागरमल गंगवाल, रघु गंगवाल, नरेंद्र छाबड़ुा, पदम चंद सेठी, नितेश सेठी, प्रवीण पाटनी, देवेंद्र गंगवाल, निशि सेठी, सुभाष सेठी कविता पाटनी, जीवन माला गंगवाल, पुष्पा सेठी, बीणा सेठी, संगीता सेठी, गुणमाला देवी, संजू सेठी, व इंद्रा पाटनी आदि अनेक लोग उपस्थित थे।


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