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पर्यावरण संरक्षण को ले पूर्व विधायक क्षेत्र में लगवा रहे सैकड़ों पौधे

पेड़ पौधों की उपयोगिता से आज हर कोई भली भांति वाकिफ हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 09:09 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:14 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को ले पूर्व विधायक क्षेत्र में लगवा रहे सैकड़ों पौधे
पर्यावरण संरक्षण को ले पूर्व विधायक क्षेत्र में लगवा रहे सैकड़ों पौधे

संवाद सहयोगी, रामगढ़ : पेड़ पौधों की उपयोगिता से आज हर कोई भली भांति वाकिफ हैं। लेकिन इसमें सहभागिता निभाने में थोड़ा आलस्य बड़ा रोड़ा बनकर सामने आ जाता है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर लॉकडाउन के बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों की सोच बदली है। विशेषकर अब ऐसे पौधों को रोपने को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता बढ़ी है जो मानव जनित विषाक्त को सीधे अपने में समाहित कर ले। कुछ लोग इसी भगीरथी प्रयास में अनवरत लगे रहते हैं। इन्हीं में से एक हैं जिले के चितरपुर प्रखंड के मुरूबंदा गांव निवासी पूर्व विधायक योगेंद्र महतो। वैसे तो वे प्रति वर्ष दो सौ से ढ़ाई सौ पौधे अपने आसपास लगवाते हैं। इसका प्रतिफल भी अब दिखने लगा है। मुरूबंदा स्थित पूर्व विधायक योगेंद्र महतो के घर से करीब पांच सौ मीटर दूर एनएच 23 सड़क के पास हरियाली की चादर दिख रही है। बड़े भू भाग में स्थित आवासीय परिसर में भी आम की कई प्रजापतियां, अमरूद, अनानास, अनार आदि फलों से लदे पौधे दिख जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने आवास से थोड़ी रामगढ़ इंजीनियरिग कॉलेज जाने के रास्ते में भी पौधारोपण करवाया जो विशाल पेड़ के रूप में लोगों को छांव देने के साथ-साथ उपयोगी फल आदि भी प्रदान कर रहा है। योगेंद्र प्रसाद ने कहा इस बारलॉकडाउन के बाद घर पर सभी बच्चे हैं। इसलिए इस बार विशेष रूप से छह सौ आम के पौधे मंगवाए हैं। पूरे परिवार के साथ अपनी करीब छह एकड़ जमीन में इसे लगवाने की तैयारी की है। योगेंद्र कहते हैं कि बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और अच्छे पौधे लगवाने के प्रति जागरूक करना ही हमारा उद्देश्य है। वे अपने घर पर आने वाले वालों से बुके आदि स्वीकार करने की जगह पौधे ही लाने को कहते हैं। सोमवार को अपने जन्म दिन के दिन भी मिलने पहुंचे लोगों से अच्छे पौधे ही भेंट स्वरूप स्वीकार किया। पूर्व विधायक योगेंद्र महतो कहते हैं कि पौधारोपण से जल, जंगल और जमीन का भी संरक्षण होता है। लॉक डाउन ने हमें बड़ी सीख दी है। हमें अब पर्यावरण संरक्षण के प्रति विशेष रूप से सजग होना होगा। अपने पूर्वजों के पर्यावरण संरक्षण के संदेश को पूरी तरह से आत्मसात करना होगा।

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