रामगढ़ में बापू की समाधी पर उन्हें याद करते हैं लोग
रामगढ़ दामोदर नदी तट स्थित गांधी घाट हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद ताजा कराती है। यहां अवस्थित बापू की समाधी स्थल पर पिछले कई दशक से हर साल दो अक्टूबर व 30 जनवरी को मुक्तिधाम संस्था द्वारा श्रद्धांजलि सभा व भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
तरुण बागी, रामगढ़ : रामगढ़ के दामोदर तट स्थित गांधी घाट हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद को ताजा कराती है। यहां अवस्थित बापू की समाधी स्थल पर पिछले कई दशक से हर साल दो अक्टूबर व 30 जनवरी को मुक्तिधाम संस्था की ओर से श्रद्धांजलि सभा व भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। शहर के लोग, जनप्रतिनिधि सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी हर साल बापू के समाधी स्थल पर नमन करने आते हैं। 30 जनवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनकी अस्थियां देश भर के कई राज्यों में पहुंची थी। रामगढ़ से जुड़ाव होने के बाद 1948 में गांधीजी की अस्थियां रामगढ़ भी पहुंची थी। उनके अस्थियां को रखकर दामोदर तट समाधी स्थल बनाया गया था। आज यह समाधी स्थल गांधी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रामगढ़ मुक्तिधाम संस्था बापू की याद को ताजा रखकर यहां मुक्ति के बाद, मुक्ति का एहसास कराने की कोशिश लोगों को करा रहा है। रामगढ़ थाना से महज कुछ कदम आगे दामोदर नदी तट पर राष्ट्रपिता बापू की समाधी स्थल है। यहां के श्मसान घाट को गांधी घाट के नाम से जाना जाता है। शहर के समाजसेवियों द्वारा इस मुक्तिधाम संस्था को चलाया जाता है। गांधी घाट पर मुक्तिधाम संस्था चिता जलाने के लिए गांधी घाट पर आने वाले लोगों के लिए लगभग सभी तरह की सुविधा बहाल कर रखी है। बापू की याद में मुक्तिधाम संस्था की व्यवस्था यहां इतनी अच्छी है कि दुख की घड़ी के बाद और दुख न हो इसका सुखद एहसास लोगों को महसूस होने लगता है। गांधी घाट पहुंचने वाले लोग बापू की समाधी स्थल पर नमन जरूर करते हैं। गांधी घाट में शव जलाने की सुविधा के लिए सातों दिन 24 घंटे की सुविधा की बहाल है। बापू की समाधी स्थल व गांधी घाट के सुंदरीकरण के लिए संस्था के कमल बागड़िया, राजेश कुमार अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल व भास्कर अग्रवाल सहित कई सदस्यों द्वारा लगातार गांधी घाट में बेहतर सुविधा बहाल करने के लिए पहल की जाती है। शहर के कई सामाजिक लोगों की ओर से गांधी घाट के सुंदरीकरण करने में सहयोग किया गया है।