Move to Jagran APP

रोम में गूंजी कोल्हान की आवाज

By Edited By: Published: Wed, 02 Nov 2011 08:34 PM (IST)Updated: Wed, 02 Nov 2011 08:34 PM (IST)
रोम में गूंजी कोल्हान की आवाज

चाईबासा, जागरण संवाददाता : सरना धर्म अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंच गया है और यह गौरवपूर्ण कार्य करने का सौभाग्य मिला चाईबासा के हो समाज महासभा के मुकेश बिरुवा को। दरअसल गत 27 व 28 अक्टूबर को रोम की राजधानी इटली में हुए धर्म गुरुओं के महासम्मेलन में पोप बेन्डिक्ट 16 ने पूरे विश्व के जिन शीर्षस्थ 300 धर्म गुरुओं को आमंत्रित किया था, उनमें झारखंड के प्रतिनिधि के रूप में मुकेश बिरुवा भी शामिल थे। मुकेश बिरुवा के साथ पोप बेन्डिक्ट ने सरना धर्म पर वार्तालाप भी किया।

loksabha election banner

धर्म गुरुओं के महासम्मेलन में शिरकत कर इटली से लौटे मुकेश बिरुवा इसे अपने जीवन का यादगार पल मान रहे हैं। मुकेश बिरुवा ने बताया कि विश्व में व्याप्त अशांति एवं वैमनस्य को धार्मिक गुरुओं के नेतृत्व में रोका एवं समाप्त किया जा सके, इसी के मद्देनजर यह महासम्मेलन हुआ। यह आयोजन इटली के असीसी में हुआ। इस आयोजन में मुझे बतौर उपाध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी महासभा एवं पूर्व महासचिव आदिवासी हो समाज महासभा को सरना धर्म को नेतृत्व करने का मौका मिला। पहली बार विश्व पटल पर आदिवासी धर्म सरना के लिए हिंदू, सिख, जैन, जोरो और बहाई के साथ अलग से डेस्क दिया गया। स्वामी अग्निवेश समेत तकरीबन 300 धर्मगुरुओं के महासम्मेलन में मुझे भी पोप बेन्डिक्ट 16 के साथ चुनिंदा लोगों के साथ स्टेज साझा करने का मौका मिला। चूंकि पहली बार ऐसे सम्मेलन में किसी आदिवासी को आमंत्रित किया गया था, इसलिए भी यह आयोजन महत्वपूर्ण था। विश्व के धर्मगुरुओं द्वारा सरना धर्म को भी धार्मिक रूप से पहचान दी गई। गत 28 अक्टूबर को उन्हें पोप बेन्डिक्ट 16 के साथ वार्ता करने का मौका दिया गया। वार्ता के दौरान मैने उनसे कहा कि मैं आदिवासी हूं, भारत से आया हूं। हम आदिवासी प्रकृति के उपासक हैं। हम अपने भगवान को सिंगबोंगा कहते हैं और जोहार से एक-दूसरे को प्रणाम करते हैं। मैंने यह कहकर उन्हें जोहार कहा तो उन्होंने भी मुझे जोहार कहा। मैंने कहा कि विश्व शांति के लिए आदिवासियों के हितों का ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि आदिवासी प्रकृति के सबसे ज्यादा नजदीक हैं, प्रकृति को समझते हैं और यदि प्रकृति की भावना के साथ खिलवाड़ जारी रहा तो इस पृथ्वी पर ज्यादा दिन नहीं रहा जा सकता है। विश्व शांति के लिए भी हमें प्रकृति के नियमों के साथ चलना होगा, आदिवासियों को उनके ज्ञान को सम्मान देना होगा। उन्होंने आश्वर्य एवं सम्मान के साथ मुझे देखते हुए धन्यवाद कहा और अपने काम को आगे बढ़ाने की बात कही।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.