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नाटक का श्रृंगार होता है संगीत : सतीश

मेदिनीनगर : मासूम आर्टस ग्रुप की ओर से संगीत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें झारखंड

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 11:49 AM (IST)
नाटक का श्रृंगार होता है संगीत : सतीश
नाटक का श्रृंगार होता है संगीत : सतीश

मेदिनीनगर : मासूम आर्टस ग्रुप की ओर से संगीत प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें झारखंड के प्रसिद्ध संगीतज्ञ पंडित सतीश शर्मा ने पलामू के रंगकर्मियों को संगीत के प्रयोग के बारे में जानकारी दी। स्थानीय बांग्ला पुस्तकालय में आयोजित समापन समारोह में सतीश ने कहा कि संगीत नाटक का श्रृंगार है। नाटकों का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए संगीत का उचित समावेश जरुरी है। कहा की नाटकों में लोक संगीत व शास्त्रीय संगीत के प्रयोग के अलग-अलग तरीके हैं। इसे समझना और उसका प्रयोग करने से ही नाटक सुन्दर बन सकता है। मासूम के आ‌र्ट्स के अध्यक्ष विनोद पांडेय ने नाटक मंचन में संगीत के प्रयोग किए जाने के बाबत जानकारी दी। कहा कि इसके लिए पंडित सतीश शर्मा संगीत कार्यशाला में पिछले दो दिनों से रंगकर्मियों को शिक्षा दे रहे थे। इससे नाटक प्रस्तुत करने वालों में निखार आएगा। मासूम अगले तीन महीने में देश के कई हिस्सों में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेगा। कार्यशाला का संचालन संजीव ¨सह व रजनीकांत ¨सह ने किया। धन्यबाद ज्ञापन मुनमुन चक्रव‌र्त्ती ने किया। कार्यशाला को सफल बनाने में सचिव सैकत चट्टोपाध्याय, संजीत प्रजापति, मुकेश विश्वकर्मा, मो नसीम, उज्जवल सिन्हा, रंजन सर्राफ आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


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