राष्ट्रीय संगोष्ठी में जुटेंगे देशभर के विद्वान : डॉ. बीरेंद्र
मेदिनीनगर : नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ¨हदी विभाग के तत्वावधान में झारखंड का ¨ह
मेदिनीनगर : नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ¨हदी विभाग के तत्वावधान में झारखंड का ¨हदी साहित्य विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसका आयोजन पांच सितंबर से सात सितंबर तक होगा। इसमें देश भर के विद्वान भाग लेंगे। उक्त आशय की जानकारी ¨हदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रामानुज प्रसाद शर्मा और आयोजन समिति के सचिव डॉ. कुमार वीरेंद्र ने दी। बताया कि एनपीयू के कुलपति डा सत्येंद्र नारायण ¨सह से प्राप्त निर्देश के आलोक में इस दिशा में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बताया कि झारखंड का ¨हदी साहित्य अत्यंत समृद्ध रहा है। विश्वविद्यालयों में स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर इससे संबंधित पाठ्यक्रम भी निर्धारित है। साथ ही विभिन्न परीक्षाओं में भी इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। बावजूद इस विषय पर न तो स्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध है और न ही इस पर अब तक गहनतापूर्वक विचार विमर्श किया जा सका है। उन्होंने कहा कि इस पर गहनतापूर्वक विमर्श करने, भारतीय साहित्य के परिप्रेक्ष्य में समझने परखने और बहुआयामी पुस्तकों का प्रकाशन करने के उद्देश्य से यह पहल करते हुए स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग ने देशभर के विद्वानों के शोध पत्र आमंत्रित करने और उन्हें पलामू में बुलाकर गहन विचार विमर्श करने का लक्ष्य रखा है।
शोध पत्र के लिए जो उप विषय निर्धारित किए गए हैं उनकी जानकारी देते हुए प्रो शर्मा और डा वीरेंद्र ने बताया कि झारखंड के ¨हदी साहित्य का परिदृश्य, झारखंड के ¨हदी साहित्य की प्रवृतियां, झारखंड पर केंद्रित ¨हदी उपन्यास, झारखंड केंद्रित ¨हदी कहानी, झारखंड केंद्रित ¨हदी कविता, झारखंड केंद्रित ¨हदी साहित्य की अन्य विधा, ¨हदी आलोचना का झारखंड स्कूल, झारखंड की साहित्यिक ¨हदी पत्रकारिता और झारखंड के प्रमुख साहित्यकारों तथा पलामू के साहित्य पर अधिकतम ढाई हजार शब्दों में शोध पत्र 30 जून तक आमंत्रित हैं। बताया कि संबंधित लोग माइक्रोसॉफ्ट वर्ड कृतिदेव फांट में कागज के एक ही ओर टंकित शोध पत्र कुमारवीरेंद्र 496 एटदरेट जीमेल डॉट कॉम पर मेल कर सकते हैं। कहा कि संगोष्ठी में सम्मिलित होने के लिए पंजीकरण प्रपत्र और अन्य आवश्यक सूचनाएं यथाशीघ्र एनपीयू के आफिसियल वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दी जाएंगी। संगोष्ठी को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रीय सलाहकार समिति का भी गठन किया जा रहा है।